नितिन गडकरी ने कहा- यह कैसा दुर्भाग्य, मुझे लेने कुत्ता एयरपोर्ट आता है, शिक्षा व्यवस्था पर भी कसा तंज

नितिन गडकरी ने कहा- यह कैसा दुर्भाग्य, मुझे लेने कुत्ता एयरपोर्ट आता है, शिक्षा व्यवस्था पर भी कसा तंज

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है। सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने देश की शिक्षा व्यवस्था और सादगी को लेकर कुछ ऐसा कह दिया, जो वायरल हो रहा है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि जो करेगा जाति की बात, उसे मारूंगा कस के लात। उनका यह बयान काफी चर्चा में रहा। अपनी इस बात को दोहराते हुए उन्होंने वीआईपी कल्चर और देश की शिक्षा व्यवस्था पर भी तंज कसा।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर में गुणवंत छात्रों के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने देश की शिक्षा पद्धति पर कहा “जहां स्कूल की बिल्डिंग है वहां टीचर नहीं, जहां टीचर है वहां बिल्डिंग नहीं ,जहां दोनों है वहां विद्यार्थी नहीं ,जहां पर तीनों है वहां पर पढ़ाई नहीं।”

जीवन की परीक्षा सबसे बड़ी

गडकरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा  दसवीं मेरिट में आयेगा। 12वीं पास करना, एमए पास करना, इंजीनियर-डॉक्टर बनना, यह शिक्षा का अंत नहीं है, यहां शिक्षा खत्म नहीं होती। सबसे बड़ी परीक्षा जीवन की परीक्षा है। एक अच्छे इंसान रूप में आप जीवन की परीक्षा उत्तीर्ण होंगे तो यह शिक्षा का सही मतलब है। संस्कार के साथ ज्ञान, मूल्यों के साथ ज्ञान, इससे व्यक्ति बनता है। सम्मान की मांग नहीं की जानी चाहिए, इसे हासिल किया जाना चाहिए। अगर आप इसकी इच्छा रखते हैं तो आपको यह मिलेगा।

मुझे लेने कुत्ता एयरपोर्ट आता है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वह 40/ 50 साल से राजनीति कर रहे हैं। उन्हें कोई हार पहनाता नहीं, वो किसी को हार डालते नहीं हैं। उन्होंने कहा, “जब एयरपोर्ट पर आता तो मैं बोलता था मुझे कुत्ता लेने भी नहीं आता। दुर्भाग्य कैसा हुआ मुझे कुत्ता लेने के लिए आता है, जेड  प्लस सिक्योरिटी में हूं, मेरे आने से पहले कुत्ता चक्कर मारता है। बाकी मुझे कोई हार डालता नहीं है, मेरे स्वागत के लिए कोई आता नहीं। मेरे स्वागत के लिए कोई आता है तो मैं उसके बोलता हूं, तुम्हारे पास काम धंधा नहीं है क्या, मेरे पास आना नहीं। मैं अपने कट आउट नहीं लगाता, इसके ऊपर पैसा खर्च नहीं किया। जाति,पंथ ,धर्म मैं नहीं मानता। जो भी मेरे पास आएगा सही काम होगा उसका करूंगा, गलत काम होगा अपने वाला भी होगा तो नहीं करूंगा।”


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