लविवि पेपर लीक प्रकरण में नया मोड़ः महिला परीक्षार्थी को कुलपति ने ही शिक्षकों से मिलाया
लखनऊ विश्वविद्यालय के पेपर लीक मामले में शनिवार को फिर नया मोड़ आ गया। विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति और तत्कालीन कुलसचिव एसके शुक्ला ने ही महिला परीक्षार्थी की शिक्षकों से मुलाकात कराई थी।
विधि संकाय के शिक्षकों ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर यह जानकारी दी। शिक्षकों के अनुसार पेपर लीक होने की बात बेबुनियाद है। वायरल हुए ऑडियो में जिन सवालों की बात की जा रही है, वे प्रश्नपत्र में पूछे ही नहीं गए। आवाज किसकी है, इसकी जांच भी नहीं की गई। इस सबके बिना ही शिक्षकों के निलंबन और एफआईआर की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय अध्यक्ष प्रो.सीपी सिंह के साथ ही विधि संकाय परीक्षा के सुपरिटेंडेंट तथा प्रो.बीडी सिंह और डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया।
प्रो.सीपी सिंह ने कहा कि 8 या 9 अक्तूबर को कुलपति शैलेश शुक्ला जो उस समय कुलसचिव थे, ने उनसे बात करके संकाय आने की बात कही थी। संभवत: 12 अक्तूबर को शैलेश शुक्ला संकाय आए। इसके बाद वह महिला भी आ गईं।
आरोप: महिला का परिचय दिया, सहयोग करने को कहा
प्रो.सीपी सिंह ने कहा कि शैलेश शुक्ला ने महिला का परिचय एक अस्पताल की मालकिन और अपनी बहन के रूप में दिया और यह भी बताया कि इस साल यह एलएलबी की परीक्षा भी दे रही हैं। इसके बाद वे दोनों वहां करीब डेढ़ घंटे तक रुके। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों से उस महिला को सहयोग करने के लिए कहा।
सफाई: सामान्य शिष्टाचार के नाते परिचय कराया, सहयोग की बात गलत
कार्यवाहक कुलपति ने शिक्षकों के आरोपों को नकारा। उनके अनुसार संयोगवश वह महिला भी दिन संकाय पहुंची थीं। वह महिला उनके आने के करीब डेढ़ घंटे बाद वहां आई थीं। इसलिए तुरंत आने की बात कहना गलत है। उन्होंने सामान्य शिष्टाचार में शिक्षकों से उस महिला का परिचय कराया था, पर सहयोग करने की बात नहीं कही थी।
दावा: प्रश्नपत्र में नहीं आए वायरल ऑडियो के सवाल
एग्जाम सुपरिटेंडेंट प्रो.एके विश्वकर्मा ने दावा किया कि ऑडियो से प्रश्नपत्र का मिलान कराया गया है। वायरल ऑडियो में जो सवाल कहे जा रहे हैं वे पेपर में पूछे ही नहीं गए हैं। ऑडियो में यह बात भी साबित नहीं हो रही है कि बातचीत करने वाले व्यक्ति कौन हैं। मोबाइल पर जो बातचीत है वह सिर्फ सिलेबस का हिस्सा है। लविवि में विवि के साथ ही चार एसोसिएट कॉलेज और अन्य विवि के शिक्षक भी पेपर बनाते हैं। ऑडियो में पेपर बताने वाले की आवाज स्पष्ट नहीं है। बातचीत करने वाले अगर शिक्षक हैं तो ये शिक्षक कहां के हैं, यह जांच का विषय है। जांच के बगैर ही निलंबन और एफआईआर की कार्रवाई गलत है। महिला परीक्षार्थी की पृष्ठभूमि सभी जानते हैं। उसने भी अपने रसूख का उपयोग किया होगा।
प्रश्नपत्र तैयार नहीं किया फिर कैसे हुआ पेपर लीक
विधि संकाय अध्यक्ष प्रो.आनंद सोनकर ने सिलेबस की चर्चा की इसको अपराध नहीं कहा जा सकता है। वे न तो वे पेपर सेटर हैं ना ही मॉडरेटर और ना ही परीक्षा कार्य से जुड़े हुए हैं। उन्हें कोई जानकारी कैसे हो सकती है। उन्होंने सिर्फ सिलेबस की चर्चा की है। एक अन्य शिक्षक का नाम कुलपति ने लिया है। वे तृतीय सेमेस्टर पढ़ाते ही नहीं हैं। ऐसे में उनका अपराध क्या है, जिसके आधार पर उन्हें निलंबित करने की बात कही जा रही है।
प्रेसवार्ता करना अनुशासनहीनता
जिस दिन मैं विधि संकाय गया था वह महिला भी वहां पहुंची थीं। मेरे और उनकेपहुंचने में डेढ़ घंटे का अंतर था। शिष्टाचारवश महिला का परिचय कराया था पर शिक्षकों से किसी प्रकार का सहयोग करने को नहीं कहा था। यह आरोप गलत है। इस तरह की प्रेसवार्ता करना गलत है और अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। डीन डॉ. नंदलाल को सुपरिटेंडेंट बनाना चाहते थे। ऐसा नहीं किया इसलिए वे मेरे खिलाफ मुखर हैं।
-शैलेश शुक्ला, कार्यवाहक कुलपति, लविवि