लखनऊ । New Milk Policy सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बाद सभी विभाग यूपी की अर्थव्यवस्था को अगले पांच वर्षों में वन ट्रिलियन डालर बनाने पर फोकस कर रहे हैं। दुग्धशाला विकास विभाग भी यूपी की अर्थ व्यवस्था को वन ट्रिलियन डालर बनाने में बराबर का सहभागी बनेगा। विभाग नीतियों को लचीला बनाते हुए दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के साथ-साथ निवेशकों के हितों को साधेगा ताकि इस क्षेत्र में पूंजी निवेश को बढ़ावा मिले।
वन ट्रिलियन डालर की इकोनामी पर सभी विभागों का फोकस
- विभाग की नई दुग्ध नीति के प्रारूप का आधार इसी को केंद्र में रखकर बुना जा रहा है। दुग्ध विकास विभाग की वर्तमान नीति, जून 2018 में लाई गई थी और इसके पांच साल का कार्यकाल वर्ष 2023 में पूर्ण हो रहा है।
- वर्तमान नीति का कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व ही नई नीति को तैयार करने की दिशा में प्रयास तेज हो गए हैं। गत 20 अगस्त को पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे की अध्यक्षता में इस सिलसिले में पहली बैठक हुई, जिसमें स्टेक होल्डर के सुझाव लिए गए।
- स्पष्ट है राज्य सरकार नई नीति के ड्राफ्ट पर मंथन शुरू कर चुकी है। व्यवहारिकता के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लोगों के सुझाव लिए जा रहे हैं।
- नई नीति, वर्तमान नीति का ही बेहतर स्वरूप होगी। जिसमें दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा, रोजगार, नई प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने पर सरकार को जोर होगा।
- इस क्षेत्र में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीति में कई प्रविधान किए जाएंगे। अनुदान, ऋण और रियायतों के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित किया जाएगा। हालांकिछूट के प्रविधान वर्तमान नीति में भी हैं, जिन्हें व्यवहारिकता की कसौटी पर कसते हुए और बढ़ाया जाएगा।
बढ़ेगा पूंजीगत निवेश अनुदान
प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना में पूंजीगत निवेश अनुदान और ब्याज में छूट के दायरे को बढ़ाया जाएगा। हालांकि यह कितना होगा इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मौजूदा नीति में प्लांट की स्थापना कार्य की लागत का 25 प्रतिशत जिसकी अधिकतम 50 लाख है, अनुदान के रूप में दिया जा रहा है। इसमें 10-15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।