Bihar Cabinet Expansion: टीम नीतीश में नए चेहरों को मिलेगी तरजीह, मंत्री पद के दावेदारों को दिए जा रहे दूसरे पद
पटना : कैबिनेट विस्तार में भले ही देरी हो रही हो, लेकिन महत्वपूर्ण लोगों को कम महत्व वाले पदों पर बिठाकर संकेत दिया जा रहा है कि टीम नीतीश में नए चेहरों को तरजीह मिलेगी। पिछली सरकार में ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री रहे श्रवण कुमार (Shravan Kumar) को विधानसभा में सत्तारूढ़ दल का मुख्य सचेतक बनाकर शायद यही संदेश दिया गया है। इससे पहले भी कई दावेदार, जो पिछली सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री थे, को विधान मंडल की समितियों में जगह दे दी गई है।
विधानसभा में सत्तारूढ़ दल का मुख्य सचेतक बने श्रवण कुमार
श्रवण कुमार जनता दल यूनाइटेड (JDU) के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के नालंदा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। जेडीयू में उनकी पूछ है। कार्यकर्ताओं के लिए वे सहज उपलब्ध रहते हैं। विधायकों की संख्या कम रहने के कारण इस बार नीतीश कुमार के कैबिनेट में जेडीयू कोटे के सदस्यों की संख्या कम रहने की आशंका जाहिर की जा रही है। फिर भी मंत्री के लिए श्रवण कुमार का नाम चल रहा था। उन्हें विधानसभा में सत्तारूढ़ दल का मुख्य सचेतक बना दिया गया है। इस पद पर रहते हुए उन्हें मंत्री जैसी सुविधाएं तो मिलेंगी, लेकिन वह रुतबा नहीं रहेगा।
मंत्री पद की दौड़ में पिछड़े श्रवण, आरसीपी से की भी मुलाकात
नालंदा जिले की राजनीति में श्रवण कुमार लोकदल के समय से ही सक्रिय हैं। वे समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के भी प्रिय थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उन पर भरोसा करते हैं। पार्टी के बड़े कार्यक्रम जब कभी नालंदा जिले में हुए, श्रवण ही उसके कर्ता-धर्ता रहे। लेकिन वे आरसीपी सिंह के कभी भी उतने ही प्रिय नहीं रहे। हालांकि, राजनीतिक गलियारे में चर्चा थी कि श्रवण और आरसीपी के बीच मुलाकात और सौहार्द्रपूर्ण बातचीत हुई है। श्रवण के प्रति आरसीपी का रूख भी नरम हुआ है। यह चर्चा चल ही रही थी कि श्रवण को विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाने की खबर आ गई। अब यह माना जा रहा है कि श्रवण मंत्री बनने की दौड़ में पिछड़ गए हैं।
सुशील मोदी, संजय झा व विनोद नारायण झा भी हैं उदाहरण
राज्य में नई सरकार के गठन के वक्त सुशील कुमार मोदी को विधान परिषद की एक कमेटी का चेयरमैन बना दिया गया था। उसी समय तय हो गया था कि मोदी राज्य कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे। कमेटी के चेयरमैन के नाते उन्हें कैबिनेट मंत्री की सुविधाएं मिलने लगी थीं। अनुमान सही निकला। मोदी राज्यसभा में चले गए। उनके साथ ही पूर्व मंत्री संजय झा को भी परिषद की एक कमेटी का चेयरमैन बना दिया गया था। उधर विधान परिषद की एक कमेटी का चेयरमैन पद पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा को दे दिया गया।
नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार में नए चेहरों को मिलेगी तरजीह
हालांकि, किसी कमेटी के चेयरमैन बनने के बाद भी विधायक या विधान परिषद के सदस्य मंत्री बनते रहे हैं। लेकिन इस समय, जबकि कैबिनेट के विस्तार को लेकर रहस्यमयी स्थिति बनी हुई है, महत्वपूर्ण लोगों को कम महत्व वाले पदों पर बिठाना कहीं न कहीं उनके मंत्री न बनने का संकेत है। साथ ही ये संकेत भी मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को सामने लाया जाएगा।