लापरवाही: सरकारी स्कूलों में दफन पांच करोड़ के प्रोजेक्टर, कुछ डिब्बों में बंद, कुछ लटके दीवारों पर 

लापरवाही: सरकारी स्कूलों में दफन पांच करोड़ के प्रोजेक्टर, कुछ डिब्बों में बंद, कुछ लटके दीवारों पर 
  • आधुनिक तरीके से शिक्षा देने के लिए लगवाए गए थे प्रोजेक्टर।
  • अफसरों की लापरवाही से कुछ डिब्बों में बंद तो कुछ दीवारों पर लटके।
  • प्रोजेक्टर लगाने में खर्च हुए थे साढ़े पांच करोड़ रुपये।

मेरठ में परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार की ओर से किए जा प्रयासों को बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। बच्चों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। बीते साल करीब पांच करोड़ रुपये से जिले 221 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रोजेक्टर लगवाए गए थे। लेकिन इनका उपयोग कहीं नहीं किया जा रहा है।

कहीं पर ये डिब्बों में बंद पड़े हैं तो कहीं दीवारों पर लटके धूल खा रहे हैं। बच्चों को एक भी दिन इन प्रोजेक्टर के माध्यम से अक्षर ज्ञान नहीं कराया गया। वहीं शिक्षकों ने प्रोजेक्टर चलाने की ट्रेनिंग नहीं दिए जाने की बात कही। सोमवार को अमर उजाला टीम ने कई परिषदीय स्कूलों में जाकर प्रोजेक्टर की स्थिति का जायजा लिया।