Nano Urea : गांधीनगर में बोले PM मोदी- आधे लीटर बोतल में समाया एक बोरी यूरिया

Nano Urea : गांधीनगर में बोले PM मोदी- आधे लीटर बोतल में समाया एक बोरी यूरिया
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में नैनो यूरिया लिक्विट प्लांट का उद्धघाटन किया है. इसके बाद पीएम मोदी ने सहकारिता कार्यक्रम को संबोधित किया है.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में नैनो यूरिया लिक्विट प्लांट का उद्धाटन किया है. इसके बाद पीएम मोदी ने सहकारिता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इसलिए पूज्य बापू और सरदार पटेल ने हमें जो रास्ता दिखाया, उसके अनुसार आज हम model cooperative village की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. आज हम सहकार से समृद्धि की चर्चा कर रहे हैं. सहकार गांवों के स्वावलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है. उसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है. आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांवों का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश पहले नैनो यूरिया लिक्विड प्लांट का उद्घाटन करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं. अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है. नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी. 7-8 साल पहले तक हमारे यहां ज्यादातर यूरिया खेत में जाने के बजाए, कालाबाजारी का शिकार हो जाता था और किसान अपनी जरूरत के लिए लाठियां खाने को मजबूर हो जाता था. हमारे यहां बड़ी फैक्ट्रियां भी नई तकनीक के अभाव में बंद हो गईं.

उन्होंने कहा कि 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का काम किया. इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चित हुआ. साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरू किया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत विदेशों से जो यूरिया मंगाता है इसमें यूरिया का 50 किलो का एक बैग 3,500 रुपये का पड़ता है, लेकिन देश में, किसान को वही यूरिया का बैग सिर्फ 300 रुपये का दिया जाता है यानी यूरिया के एक बैग पर हमारी सरकार 3,200 रुपये का भार वहन करती है.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश के किसान को दिक्कत न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में दी है. किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने वाली है. पहले की सरकार में समस्याओं का सिर्फ तात्कालिक समाधान ही तलाशा गया. आगे वो समस्या न आए, इसके सीमित प्रयास ही किए गए. बीते 8 वर्षों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थायी समाधान भी खोजे हैं.

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है. आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है. ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं. डेयरी सेक्टर के cooperative model का उदाहरण हमारे सामने है. आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है. बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेजी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है.