मुजफ्फरनगरः बीमारी में मां की मौत पर बेटे ने कर ली आत्महत्या 

मुजफ्फरनगरः बीमारी में मां की मौत पर बेटे ने कर ली आत्महत्या 

मुफलिसी ने चरथावल में एक परिवार उजाड़ दिया। गुर्दे फेल होने पर बीमार चल रही महिला को समय से उपचार नहीं मिला। शुक्रवार को महिला ने दम तोड़ दिया, तो कक्षा नौ में पढ़ रहे उसके बेटे ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। हृदय विदारक इस घटना से कस्बा चरथावल में शोक व्याप्त हो गया।

नगर पंचायत चरथावल में बस स्टैंड के समीप कानूनगोयान में रहने वाली संतोष (55 वर्षीय) करीब कई साल से बीमार चल रही थी। परिवार में उसकी दो बेटी और बेटा है। बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि 15 वर्षीय बेटा कक्षा नौ की पढ़ाई कर रहा था। पति की तीन साल पूर्व मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद से महिला अपने बेटे के साथ अकेली रहती थी। फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे थे, जिस कारण वह बीमार रहती थी।

हालत लगातार बिगड़ने पर उसका ऋषिकेश के एम्स में उपचार चल रहा था। शुक्रवार दोपहर महिला ने घर पर ही दम तोड़ दिया। मां की मौत होने पर बेटे को गहरा आघात लगा और उसने जहर खा लिया। वहां इकट्ठा हुए आसपास के लोगों ने छात्र को अस्पताल भिजवाया। नाजुक हालत में उसे मेरठ रेफर किया गया, लेकिन मेरठ पहुंचने से पहले उसने दम तोड़ दिया। शाम को मां – बेटे के शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मां – बेटे की चिता एक साथ उठने पर मोहल्ले में शोक छा गया। इस संबंध में पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई।

घरों में मजदूरी कर चलती थी गुजर बसर 
महिला और उसका बेटा एक कमरे के छोटे से मकान में रहते थे। रोजी रोटी का कोई जरिया नहीं था, जिस कारण महिला घरों में मजदूरी करती थी। उससे जो मिलता, उसी से गुजर बसर चल रही थी। बावजूद इसके महिला अपने बेटे को पढ़ा रही थी, ताकि परिवार की तंगहाली दूर हो सके, मगर नियति को यह मंजूर नहीं था। बीमार मां की मौत के बाद बेटे द्वारा आत्महत्या करने पर मोहल्ले के लोग भी आहत हैं। लोगों का कहना है कि बेशक मां की मौत के बाद छात्र के मन में अकेलेपन की बात घर कर गई हो, लेकिन ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था।

नहीं मिला आयुष्मान योजना का लाभ 
महिला के पति की मौत भी दिल फैलने से बीमार रहने के कारण हुई थी। परिवार की आजीविका का कोई साधन नहीं था। महिला को किसी तरह की पेंशन नहीं मिल रही थी और बीमारी का उपचार कराने में असमर्थ होने पर भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिला।

कहां सोते रहे जनप्रतिनिधि और अफसर 
नगर पंचायत चरथावल के अध्यक्ष और क्षेत्रीय वार्ड सदस्य की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने क्षेत्र में रहने वाले पात्रों को योजनाओं का लाभ दिलाएं। नगर पंचायत के अधिकारी के साथ ही जिला स्तरीय अधिकारी की भी जवाबदेही बनती है, क्योंकि योजनाओं में पात्रों के चयन से लेकर लाभ पहुंचाने तक हर विभाग के अधिकारियों को मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी रहती है। आखिर जनप्रतिनिधि और अफसर कहां सोते रहे ? यदि योजनाओं का लाभ मिलता, तो समय से उपचार मिलने पर महिला की जान बच भी सकती थी।

क्षेत्रीय वार्ड सदस्य वीरेंद्र त्यागी का कहना है कि वह महिला को घर पर जाकर ही कंबल देकर आए थे। प्रधानमंत्री आवास योजना में महिला को लाभ मिलने वाला था। लेकिन आयुष्मान भारत योजना का गोल्डन कार्ड नहीं बना था।