मुस्लिम समाज ने पेश की सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, सिख समाज को लौटाई मस्जिद की जमीन और धनराशि

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में धार्मिक स्थल का विवाद निपटने के बाद एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिला है। गुरुद्वारे के निर्माण के साथ ही सिक्ख समाज द्वारा मुस्लिम समाज को मस्जिद के लिए दी गई भूमि और धनराशि को मुस्लिम समाज ने वापिस करते हुए गुरुद्वारा निर्माण में मदद करने का भरोसा दिलाया है।

घंटाघर स्थित एक सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुस्लिम पक्ष से पूर्व सभासद मोहर्रम अली पप्पू ने कहा गुरुद्वारा रोड पर श्री गुरु सिंह सभा द्वारा भव्य गुरुद्वारे का निर्माण कराया जाना है, जिसको लेकर विवाद चल रहा था, जो 26 फरवरी को प्रशासन की मध्यस्था में निपट गया है।

बिना कहे सिक्ख समाज ने पहल करते हुए मस्जिद के लिए रहमानी चौक पर 200 गज जमीन देने और बैनामें के लिए चार लाख की धनराशि का चेक दिया था, लेकिन मुस्लिम समाज ने फैसला लिया कि वह खुद ही जमीन खरीदकर मस्जिद बनवाएंगे। जमीन के लिए सिक्ख समाज की ओर से खर्च की जाने वाली धनराशि और दिए गए चेक को गुरुद्वारे निर्माण लगाने के लिए वापसी कर दिया गया है। ताकि सांप्रदायिक सौहार्द हमेशा की तरह बना रहे।

हम ने खुद दी थी जमीनः जसबीर 
श्री गुरु सिंह सभा के प्रधान जसबीर सिंह बग्गा कहा कि मुस्लिम समाज ने मस्जिद के लिए सिक्ख समाज से किसी तरह की भूमि देने की मांग नहीं की थी। गुरुद्वारा हो या मस्जिद, दोनों खुदा के घर हैं, इसीलिए सिक्ख समाज ने मस्जिद के लिए जमीन दी थी। इस दौरान टीपी सिंह, अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बग्गा, श्री गुरु सिंह सभा के प्रधान जसबीर सिंह बग्गा, दी इस्लामिक फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अली सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

मुस्लिम समाज के फैसले का स्वागतः बग्गा 
शिरोमणि अकाली दल के उत्तर प्रदेेश अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह बग्गा ने कहा कि मुस्लिम समाज के फैसले का वह स्वागत करते हैं। सिक्ख समाज की ओर से मस्जिद के लिए जमीन की व्यवस्था कर दी गई थी, लेकिन मुस्लिम समाज ने दरियादिली दिखाते हुए सौहार्द की एक नई मिसाल पेश की है।

हो गई थी गलत फहमीः अली 
दी इस्लामिक फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अली एडवोकेट भी पत्रकार वार्ता में शामिल हुए। दो दिन पहले मोहम्मद अली ने मोहर्रम अली पप्पू पर इस मामले में सिक्ख समाज के साथ डील करने सहित संगीन आरोप लगाए थे।

सिक्ख समाज से चेक लेने को गलत करार दिया था। मगर, रविवार को पत्रकार वार्ता में मोहम्मद अली ने कहा कि उन्हें गलत फहमी हो गई थी कि मोहर्रम अली पप्पू ने कोई डील की है। उनका कहना सिर्फ इतना था कि मुस्लिम समाज खुद मस्जिद बनवा लेगा। क्योंकि, शरियत के हिसाब से मस्जिद के निर्माण में पैसा लगता है। ऐसे में किसी धन या जमीन लेना ठीक नहीं है। इसलिए सिक्ख समाज को चेक और जमीन वापिस कर दी गई है।

26 जुलाई 2014 में हुआ था दंगा, 26 फरवरी 2020 में निपटा मामला  

गुरुद्वारा रोड स्थित धार्मिक स्थल के विवाद को लेकर 26 जुलाई 2014 को दंगा हो गया था। मुस्लिम समाज ने जमीन मस्जिद की होने का दावा किया था। वहीं, सिक्ख समाज का दावा था कि भूमि गुरु सिंह सभा की है, जिसके सभी दस्तावेज हैं।

इस विवाद को लेकर हुए दंगे में तीन लोगों की मौत हो गई थी और अंबाला रोड पर सैंकड़ों दुकानों को फूंक दिया गया था। शहर के कई जगहों पर आगजनी हुई थी, जिसमें करोड़ों का नुकसान हुआ था और कई लोग घायल हुए थे। शहर में आठ दिन कर्फ्यू लगा रहा था।

इस मामले को लेकर एक वर्ष से प्रशासन की मध्यस्ता में सिक्ख और मुस्लिम समाज के बीच वार्ता हुई और लिखित समझौता हुआ, जिसे कोर्ट में दाखिल किया गया। इसके साथ ही दोनों पक्षों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापिस लेने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई।

26 फरवरी को गुरुद्वारा रोड स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक कुुमार पांडेय और एसएसपी दिनेश व सिक्ख एवं मुस्लिम समाज ने पत्रकार वार्ता कर समझौते का खुलासा किया। इसके साथ ही विवादित स्थल पर गुरुद्वारे के निर्माण के लिए निशान साहिब की स्थापना की गई।

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