महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र आज से, विपक्षी हंगामे के आसार; अजित पवार की बगावत से कमजोर हुई NCP

महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र आज से, विपक्षी हंगामे के आसार; अजित पवार की बगावत से कमजोर हुई NCP

मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। आज से मानसून सत्र शुरू होगा। सत्र शुरू होने की पूर्व संध्या पर रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्षी दलों पर तीखी टिप्पणी की।

सीएम शिंदे ने कहा कि ऐसा लगता है कि वे उम्मीद खो चुके हैं और भ्रमित हैं। राज्य में विपक्षी दल शायद ही कहीं दिखते हैं। किसी को उन्हें खोजना होगा। हालांकि, हम विपक्ष को कम नहीं आंकेंगे। इस बीच मानसून सत्र से पहले आयोजित चाय पार्टी का विपक्ष ने बहिष्कार किया।

2.38 लाख करोड़ रुपये का हुआ निवेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को विभिन्न क्षेत्रों में 2.38 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। विपक्ष को भी सरकार द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की सराहना करनी चाहिए। वह एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे।

विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सरकार को लिखा पत्र

विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सरकार को पत्र लिखकर कई मुद्दों को सूचीबद्ध किया है। इस बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने सरकार को पत्र नहीं, एक किताब लिखी है। शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस और राकांपा (शरद पवार गुट) सहित विपक्षी खेमे ने सोमवार से शुरू होने वाले महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा आयोजित चाय पार्टी का बहिष्कार किया।

अजित पवार ने की NCP से बगावत

हाल ही में राकांपा प्रमुख शरद पवार से बगावत कर अजित पवार के शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद खाली है। अजित पवार खेमे के कई विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।

शिवसेना (उद्धव गुट) ने किया चाय पार्टी का बहिष्कार

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि हमने राज्य सरकार की चाय पार्टी का बहिष्कार करने का फैसला किया, क्योंकि सरकार कई मोर्चों पर लोगों की समस्याओं को हल करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने की नीति अपनाई है। हम राज्य में लोकतंत्र की एक भयावह तस्वीर देख रहे हैं।