दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर फिर लगी रोक, मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने किया ऐलान

दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर फिर लगी रोक, मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने किया ऐलान
देवबंद । इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद द्वारा एक बार फिर यहां घूमने के लिए आने वाली महिलाओं और बच्चों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इस बार यह पाबंदी संस्था में चल रही प्रवेश परीक्षाओं के मद्देनजर लगाई गई है, ताकि छात्रों को परीक्षा की तैयारी में किसी प्रकार का व्यवधान न हो।

रविवार को दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की ओर से जारी किए गए एलान में नवीन सत्र के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं का हवाला देते हुए संस्था में आने वाले लोगों से अपील की गई है कि वह अपने साथ महिलाओं और बच्चों को न लाएं।नोमानी ने बताया कि यह मदरसे में प्रवेश परीक्षा का समय है। जिसके लिए देशभर से हजारों छात्र यहां आकर तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में घूमने के लिए आने वाली बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों के कारण छात्रों को पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है।

पिछले वर्ष भी लगाया था प्रतिबंध

गौरतलब है कि इससे पूर्व भी दारुल उलूम ने बीते वर्ष 17 मई को महिलाओं के दारुल उलूम में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। उस समय तर्क दिया था कि कुछ महिलाएं बेपर्दा होकर आती हैं और संस्था के भीतर रील बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करती हैं, जिससे संस्था बदनाम होती है। बाद में 21 अक्टूबर को संस्था ने सशर्त महिलाओं को संस्था में प्रवेश की अनुमति दे दी थी।

वक्फ की रक्षा के लिए खून की आखिरी बूंद तक जारी रहेगा संघर्ष : मदनी

देवबंद। जमीयत उलमा ए हिंद ने मोदी सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून-2025 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे दी है। याचिका में कानून को असंवैधानिक और वक्फ प्रबंधन तथा वक्फ संपत्तियों के लिए विनाशकारी बताते हुए केंद्र सरकार से नोटिफिकेशन वापस लेने के लिए अंतरिम आदेश देने की मांग की गई है। कहा कि लोकतंत्र और वक्फ की रक्षा के लिए खून की आखिरी बूंद तक संघर्ष जारी रहेगा।जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि जमीयत की राज्य इकाइयां भी इस काले कानून के खिलाफ संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करेंगी। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।

मौलाना मदनी ने बिल पर सरकार की मदद करने वाले तथाकथित सेक्युलर दलों की आलोचना करते हुए कहा कि हमने इस कानून को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए, संविधान रक्षा सम्मेलनों का आयोजन किया ताकि उन लोगों के ज़मीर को जगाया जा सके, जिन्होंने सत्ता के लालच में संविधान की मूल आत्मा को ही भुला दिया है।

मौलाना ने कहा, पार्टियों ने किया सौदा

मौलाना मदनी ने कहा, कि खुद को सेक्युलर कहने वाली पार्टियों ने न सिर्फ मुसलमानों के हितों का सौदा किया, बल्कि संविधान को भी अपने पैरों तले कुचल डाला है। कहा कि इनका व्यवहार सांप्रदायिक ताकतों से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इन्होंने दोस्त बनकर हमारी पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। मुसलमान इन्हें कभी माफ नहीं करेगा। मौलाना मदनी ने उन सभी सांसदों का आभार जताया जिन्होंने देर रात तक संसद में डटकर इस कानून का विरोध किया है।


विडियों समाचार