मोहन भागवत ने विजयदशमी पर बांग्लादेश के हिंदुओं की स्थिति पर चिंता जताई

मोहन भागवत ने विजयदशमी पर बांग्लादेश के हिंदुओं की स्थिति पर चिंता जताई

विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर के रेशम बाग में शस्त्र पूजन किया और संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बांग्लादेश में हिंदुओं की कठिनाइयों पर विचार व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि संघ अब अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और हमेशा की तरह चुनौतियाँ बनी रहेंगी।

भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा

मोहन भागवत ने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर में चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए हैं, जिससे देश की साख और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।” उन्होंने कहा कि शासन और युवाओं के प्रयासों से भारत कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है, हालांकि कुछ चुनौतियाँ अभी भी सामने हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न

भागवत ने बांग्लादेश में हिंदू समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वहाँ उत्पात के कारण हिंदू समुदाय में जो अत्याचार हो रहे हैं, वे बार-बार सामने आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया गया है, जिससे वे अपनी रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुए।

एकजुटता और शक्ति की आवश्यकता

भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक कट्टरपंथी ताकतें हिंसा और अत्याचार को बढ़ावा देती रहेंगी, तब तक न केवल हिंदू बल्कि अन्य अल्पसंख्यक भी खतरे में रहेंगे। उन्होंने कहा, “हिंदुओं को पूरी दुनिया से मदद की आवश्यकता है और भारत सरकार को भी उनकी सहायता करनी चाहिए। कमजोर होना एक अपराध है; अगर हम कमजोर हैं, तो हम अत्याचार को आमंत्रित कर रहे हैं। हमें एकजुट और सशक्त रहने की आवश्यकता है।”

इस प्रकार, मोहन भागवत का यह बयान बांग्लादेश के हिंदुओं के प्रति संघ की चिंता को दर्शाता है और एकजुटता की आवश्यकता पर बल देता है, जिससे वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।


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