चंडीगढ़। मोहाली की अदालत ने दिल्ली के भाजयुमो नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। अदालत ने पुलिस को उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, बग्गा की गिरफ्तारी के लिए कल भी पुलिस दिल्ली गई थी। बग्गा को लाते वक्त हरियाणा पुलिस ने रोक दिया और बग्गा को दिल्ली पुलिस को सौंप दिया।

वहीं, बग्गा मामले में पंजाब सरकार ने दिल्ली पुलिस व केंद्र सरकार को को प्रतिवादी बनाए जाने और दिल्ली के जनकपुरी पुलिस थाने और हरियाणा के थानेसर पुलिस थाने की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित किए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है।

शुक्रवार को पंजाब सरकार ने बग्गा को दिल्ली में हिरासत में लेने गए पंजाब पुलिस की टीम को अवैध तरीके से बंधक बनाए जाने की जो याचिका दाखिल की है, उसी याचिका पर अब दिल्ली पुलिस को भी पक्ष बनाए जाने की मांग की है। हालांकि दिल्ली पुलिस की तरफ से शुक्रवार को ही मामले में अपना जवाब हाई कोर्ट में दाखिल किया जा चुका है।

इसके अलावा पंजाब सरकार ने उनके पुलिस अधिकारियों को दिल्ली के जनकपुरी पुलिस थाने और हरियाणा के थानेसर सदर पुलिस थाने में बंधक बनाए जाने की जो जानकारी दी थी उसे पुख्ता करने के लिए इन दोनों थानों की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित किए जाने की मांग की है।

इस मामले की सुनवाई शुक्रवार होनी थी, लेकिन मामले में पंजाब सरकार ने इन दोनों अर्जियों को दाखिल किए जाने की जानकारी दी, जिस पर हाई कोर्ट ने अब मामले की सुनवाई मंगलवार 10 मई तक स्थगित कर दी है। बग्गा की 10 मई को एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई होनी है जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर को चुनौती दी है।

हाई कोर्ट ने आठ अप्रैल को बग्गा को अंतरिम राहत देते हुए उन्हें मामले में गिरफ्तार करने से पहले नोटिस दिए जाने के आदेश दे दिए थे। कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिए थे कि जिस धारा के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है उनमें सात वर्ष से कम की सजा का प्रावधान है और सुप्रीम कोर्ट 2014 में अरुणेश कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले में देश के सभी राज्यों को जो निर्देश जारी कर चुका है उसी के तहत राज्य सरकार आगे कार्रवाई करे।

इस केस में सुप्रीम कोर्ट गिरफ़्तारी से पहले नोटिस दिए जाने के आदेश दे चुका है और यह अवधि 7 दिन से 15 दिनों की हो सकती है। बता दें कि तजिंदर बग्गा ने दायर याचिका में कहा है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कश्मीर पर बयान दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक केजरीवाल कश्मीरियों के खिलाफ अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते हैं तब उन्हें जीने नहीं देंगे, लेकिन उनके इस बयान को काट कर पेश कर दिया गया कि उन्होंने कहा है कि वह जीने नहीं देंगे। इस मामले में उनके खिलाफ मोहाली में एफआइआर कैसे दर्ज की जा सकती है।