MLC Election in UP: इलाहाबाद हाई कोर्ट का शिक्षक MLC चुनाव में हस्तक्षेप से इन्कार, याचिका खारिज

प्रयागराज । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक दिसंबर को होने वाले विधान परिषद सदस्य के चुनाव में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट में शिक्षक सीट के चुनाव की वोटर लिस्ट की वैधता की चुनौती को लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, नामाकंन भी जारी है और निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के तहत वोटर लिस्ट जारी की गई है। हर चुनाव से पहले हर बार ऐसा होता है। यदि याची को आपत्ति हो तो वह चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद उचित फोरम में जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने वाराणसी के सुधांशु शेखर त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता वीके उपाध्याय व आयोग के अधिवक्ता बीएन सिंह व प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ने बहस की। याची का कहना था कि एमएलसी चुनाव की वोटर लिस्ट तैयार करने में आयोग की पांच सितंबर 2016 की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है। शार्ट टर्म अध्यापकों, लिपिकों व अन्य लोगों के नाम शामिल नहीं किया गया है। याची की आपत्तियों को दरकिनार कर वोटर लिस्ट को अंतिम रूप दिया गया है।
याचिका में गाइडलाइन का पालन करते हुए वोटर लिस्ट जारी करने और नयी पुनरीक्षित लिस्ट से मतदान कराने की मांग की गयी थी। चुनाव आयोग की तरफ से बताया गया कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने दो नवंबर 2020 को वोटर लिस्ट संशोधित व पुनरीक्षित कर जारी कर दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट को अनुच्छेद 226 में न्यायिक पुनॢवलोकन की शक्ति प्राप्त है, किंतु चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप चुनाव बाधित होगा। ऐसा करना कानूनन प्रतिबंधित भी है। याची चाहे तो चुनाव बाद चुनाव याचिका दायर कर सकता है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।