विश्व पृथ्वी दिवस पर माँ शाकुंभरी विश्वविद्यालय में विविध कार्यक्रमों का आयोजन

सहारनपुर: विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर माँ शाकुंभरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर ने पर्यावरण जागरूकता और शोध कौशल विकास को केंद्र में रखते हुए एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान हवन, रंगोली प्रतियोगिता, प्रदर्शनी, वृक्षारोपण और एक ऑनलाइन वर्कशॉप का आयोजन हुआ, जिसमें 120 से अधिक शिक्षकों, छात्रों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
पर्यावरण हितैषी गतिविधियों से शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत हवन और रंगोली के साथ हुई, जिसके बाद परिसर में पौधारोपण किया गया। इसके पश्चात “लघु शोध लेखन व आंकड़ों का विश्लेषण” विषय पर एक ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की गई।
शोध लेखन की बारीकियों पर मंथन
वर्कशॉप के पहले सत्र में टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज़, नई दिल्ली के डॉ. स्वरूप दत्ता ने शोध लेखन की प्रभावशाली तकनीकों पर चर्चा की। उन्होंने जोर देकर कहा, “लिटरेचर राइटिंग शोध को प्रामाणिक और प्रभावी बनाने की कुंजी है। विषयों के सही चयन और उनके समावेश से शोध की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।”
आंकड़ों के विश्लेषण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण
दूसरे सत्र में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रो. भूपेंद्र सिंह ने R सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटा विश्लेषण की बारीकियों को लाइव डेमो से समझाया। उन्होंने शोधार्थियों को सांख्यिकीय पद्धतियों की व्यावहारिक समझ विकसित करने में मदद की।
नवशोधकर्ताओं के लिए मार्गदर्शन
तीसरे सत्र में आईआईटी रुड़की, सहारनपुर कैंपस की प्रो. मिली पंत ने डेटा विश्लेषण की मूल अवधारणाओं को उदाहरणों के साथ सरल ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “सही टूल्स और तकनीकों का उपयोग कर शोध को सटीक और सार्थक बनाया जा सकता है।”
पृथ्वी संरक्षण पर जोर
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रो. दिनेश भट्ट ने पृथ्वी संरक्षण की अपील करते हुए कहा, “प्रकृति की रक्षा करना हम सभी का नैतिक दायित्व है। छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।”
कुलपति ने रखी टिकाऊ विकास की बात
समापन सत्र में कुलपति प्रो. विमला वाई. जी. ने कहा, “तकनीकी प्रगति को पर्यावरण के अनुकूल बनाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमें भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति को सुरक्षित रखना होगा।”
आयोजन टीम को श्रेय
डॉ. सुदर्शन मिश्रा ने आभार व्यक्त करते हुए बताया कि इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. संदीप कुमार और डॉ. पंकज कुमार के नेतृत्व में हुआ। प्रो. विनोद कुमार, डॉ. ऋषिपाल सिंह सहित कई विद्वानों ने सत्रों को सक्रियता से संचालित किया। ऑनलाइन वर्कशॉप में प्रो. विनोद कुमार, डॉ. ऋषिपाल सिंह, डॉ. रिचा, डॉ. कृष्णा आनंद, डॉ. आरती उपाध्याय, डॉ. निधि त्यागी, डॉ. अर्चस्वी सहित अन्य विद्वानों की सक्रिय सहभागिता रही।
इस कार्यक्रम ने न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि शोधार्थियों को नई तकनीकों से भी परिचित कराया।