महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘मुझे नजरबंद किया गया है’, जानें कहां जाना चाहती थीं PDP सुप्रीमो

महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘मुझे नजरबंद किया गया है’, जानें कहां जाना चाहती थीं PDP सुप्रीमो

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को दावा किया कि उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम उन्हें सोपोर में पूर्व हुर्रियत कॉन्फ्रेंस चेयरमैन प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए जाने से रोकने के लिए उठाया गया। महबूबा ने इसे जम्मू-कश्मीर में ‘कठोर और अलोकतांत्रिक हकीकत’ का सबूत बताया।

सोपोर में हुआ था अब्दुल गनी भट का निधन

महबूबा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘आज राजनीतिक नेताओं को नजरबंद करना, सिर्फ इसलिए कि हम सोपोर में प्रोफेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक जताने न जा सकें, यह जम्मू-कश्मीर की कड़वी और गैर-लोकतांत्रिक सच्चाई को उजागर करता है।’ बता दें कि प्रोफेसर भट का बुधवार शाम को लंबी बीमारी के बाद सोपोर में उनके घर पर इंतकाल हो गया था।

 

 

हजरतबल दरगाह विवाद पर महबूबा का बयान

महबूबा ने हाल ही में हजरतबल दरगाह में हुए विवाद का भी जिक्र किया। 5 सितंबर को दरगाह में अशोक चिन्ह वाली एक तख्ती को तोड़े जाने के बाद बड़ा बवाल हुआ था। कई राजनीतिक दलों ने वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया, क्योंकि मस्जिद में राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल किया गया था। महबूबा ने कहा, ‘हजरतबल दरगाह में जो हुआ, वह लोगों के गुस्से का एक सहज और स्पष्ट संदेश था। यह सिर्फ एक घटना नहीं थी, बल्कि यह उन लोगों की आवाज थी जो सालों से दबाव और दुख में जी रहे हैं।’ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए मुफ्ती ने कहा कि बीजेपी कश्मीर में शांति और सुलह में कोई दिलचस्पी नहीं रखती।

 

मीरवाइज उमर फारूक ने भी जताई नाराजगी

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने भी बुधवार देर रात से नजरबंद होने का दावा किया। उन्होंने X पर लिखा, ‘मुझे मेरे घर में बंद कर दिया गया है, जिसके कारण मैं प्रोफेसर भट की जनाजे में शामिल नहीं हो सका। यह मेरे लिए बहुत दुखद है कि मुझे उनके आखिरी सफर में साथ देने का मौका नहीं मिला।’ मीरवाइज ने बताया कि उनकी प्रोफेसर भट के साथ 35 साल की दोस्ती थी।उन्होंने आगे कहा, ‘प्रोफेसर साहब के परिवार को उनके जनाजे को जल्दबाजी में पूरा करने के लिए मजबूर किया गया। बहुत से लोग उन्हें आखिरी विदाई देना चाहते थे।’

Jamia Tibbia