MCD Election: धरातल पर आए असदुद्दीन ओवैसी, नोटा से भी कम वोट पाई AIMIM

MCD Election: धरातल पर आए असदुद्दीन ओवैसी, नोटा से भी कम वोट पाई AIMIM

नई दिल्ली: दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला है तो बीजेपी सम्मानजनक रूप से दूसरे स्थान पर आई है. कांग्रेस की हालत खस्ता है, वो महज 9 सीटों पर जीत हासिल कर पाई तो सिर्फ 3 सीट निर्दलीयों के खाते में रही. यूं तो दर्जनों राजनीतिक दलों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी. कुछ का दावा तो उलटफेर करने का भी था, लेकिन खाता किसी का भी नहीं खुल पाया. चाहे वो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू हो, या देश में मुसलमानों की राजनीतिक रहनुमाई का दावा करने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम. इसके उलट, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की हालत इतनी खराब रही कि उसे पूरे दिल्ली में नोटा से भी कम वोट मिले.

नोटा से भी कम वोटों पर सिमट आई एआईएमआईएम

जी हां, पूरे दम खम से चुनावी मैदार में उतरी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) को एमसीडी चुनाव में महज 0.62 प्रतिशत वोट मिले है. इसके मुकाबले नोटा (None Of The Above) को 0.78 प्रतिशत वोट मिले हैं. ऐसा ही कुछ हाल सपा, एनसीपी, रालोद, सीपीआई और सीपीएम जैसी पार्टियों का भी हुआ है. हालांकि हम सिर्फ एआईएमआईएम की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि खुद असदुद्दीन ओवैसी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी.

आप और बीजेपी में महज 3 प्रतिशत मतों का अंतर

आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसे 42.05 प्रतिशत वोट मिला है जबकि बीजेपी को 39.09 प्रतिशत वोट मिला है. जबकि कांग्रेस को महज 11.68 प्रतिशत वोट पर ही सिमट गई. इसके अलावा निर्दलीयों को 3.46 प्रतिशत वोट मिले. चुनावी नतीजे आए तो आप ने बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए 134 सीटें जीती. वहीं, 15 साल से MCD पर काबिज भाजपा को 104 सीटें ही मिली. बुरा हाल तो कांग्रेस का हुआ, जिसे महज 9 सीटें मिली. वहीं, निर्दलीय भी पिछली बार से कम सीटों पर जीत हासिल कर पाए और निर्दलीयों का आंकड़ा महज तीन सीटों तक ही सिमट कर रह गया.

किस वजह से जोश में थे ओवैसी?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में करीब 12 प्रतिशत वोट मुस्लिम हैं. इसी 12 प्रतिशत मुस्लिम वोटों पर ओवैसी अपनी दावेदारी कर रहे थे. ऐसा इसलिए भी, क्योंकि साल 2020 में हुए NRC-CAA के आंदोलन को दिल्ली में काफी ताकत मिली थी और मुस्लिमों के बड़े तबके ने इसका समर्थन किया था. हालांकि लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सिर्फ ओवैसी को ही झटका नहीं लगा, बल्कि आम आदमी पार्टी को भी इस फ्रंट पर झटका लगा है. क्योंकि जिस ओखला में एनआरसी-सीएए विरोधी आंदोलन का केंद्र था. उसी ओखला के पांच वार्डों में से आप को महज एक वार्ड में जीत मिली. जबकि बीजेपी और कांग्रेस ने दो-दो सीटें जीत ली. जब पांचों सीटों का आंकड़ा और दिल्ली एमसीडी चुनावों के नतीजे सामने हैं, तो आप खुद ही समझ सकते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी का सारा अनुमान धरा का धरा क्यों रह गया.