‘मायावती को करना चाहिए नेतृत्व…’ केंद्रीय मंत्री के बयान से सियासी हलचल
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष और सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने देश में दलित राजनीति को एकजुट करने की वकालत की है. उन्होंने सुझाव दिया कि यदि भविष्य में दलित राजनीतिक दलों का गठबंधन बनता है, तो इसका नेतृत्व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती को करना चाहिए.
रामदास अठावले का बयान ऐसे समय में आ रहा है जब देश में दलित राजनीति नए तरीके से करवट बदल रही है. इसमें इंडिया गठबंधन आगे है. खासकर राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव ने सामाजिक न्याय की बात को लेकर भाजपा और उसके सहयोगियों को परेशान कर रखा है.
अठावले ने दलित राजनीति की एकजुटता पर दिया जोर
रामदास आठवले ने कहा कि अब समय आ गया है कि दलित राजनीति के बिखरे धड़े एकजुट हों. अगर गठबंधन बनता है, तो मायावती को इसका नेतृत्व करना चाहिए. उनके पास अनुभव और बड़ी राजनीतिक ताकत है. उन्होंने दलित समाज की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि आरक्षण और संवैधानिक अधिकारों के बावजूद देश में कई जगहों पर भेदभाव और अन्याय की घटनाएं सामने आ रही हैं. अठावले ने ये बात जनसत्ता से एक साक्षात्कार में कही. जिसके बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
आठवले ने बताया कि भारत में दलितों की स्थिति अभी भी पूरी तरह मजबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि संविधान ने दलितों को अधिकार दिए हैं, लेकिन भेदभाव और अन्याय की घटनाएं रुक नहीं रही हैं. दलित समाज का बड़ा हिस्सा अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और भाजपा जैसे बड़े दलों में दलित नेताओं की मौजूदगी है, लेकिन दलित समाज को अपनी आवाज बुलंद करने के लिए एकजुट होना होगा.
भाजपा के साथ गठबंधन का बताया कारण
2016 में भाजपा के साथ गठबंधन के सवाल पर आठवले ने कहा कि मुझे लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलित समाज के लिए काम करना चाहते हैं. उनकी सरकार ने दलितों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने भाजपा के साथ अपनी साझेदारी को सकारात्मक बताते हुए कहा कि यह कदम दलित समाज के हित में था.
