हरियाणा में नवनिर्मित मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने अनुसूचित जाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा लागू करने का फैसला कर लिया है। शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य अनुसूचित जाति आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी गई। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के बाद आया है, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण में वर्गीकरण का अधिकार दिया गया था। इस कदम के खिलाफ बसपा प्रमुख मायावती ने तीखा विरोध जताया है। उन्होंने इसे दलितों को बांटने का षड्यंत्र करार दिया।
सीएम सैनी का फैसला और अन्य घोषणाएं
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू करने की घोषणा की। सरकारी बयान में कहा गया कि अनुसूचित जाति वर्ग में कुछ जातियों का सरकारी सेवाओं में उनके जनसंख्या अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व है, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में किडनी रोगियों के लिए निशुल्क ‘डायलिसिस’ सुविधा की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि चुनावी वादे के अनुसार, सरकार अब डायलिसिस का पूरा खर्च वहन करेगी, जो प्रति माह 20,000 से 25,000 रुपये तक होता है।
पराली जलाने की समस्या पर, मुख्यमंत्री ने किसानों को जागरूक करने की बात कही और उपकरणों पर सब्सिडी देने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार किसानों का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदेगी।
मायावती का विरोध
हरियाणा सरकार के इस फैसले पर मायावती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे दलितों के खिलाफ और आरक्षण विरोधी करार दिया। सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए मायावती ने कहा, “हरियाणा की नई भाजपा सरकार का अनुसूचित जातियों के आरक्षण में वर्गीकरण लागू करने का निर्णय दलितों को बांटने और आपस में लड़ाने का षड्यंत्र है। यह न सिर्फ दलित विरोधी, बल्कि आरक्षण विरोधी कदम है।”