माता शाकम्भरी राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर नाम ही व्याकरणसम्मत: कमल किशोर

- सहारनपुर में पत्रकारों से वार्ता करते महामंडलेश्वर संत कमलकिशोर।
सहारनपुर। दिव्य शक्ति अखाड़ा के महामंडलेश्वर संत कमल किशोर ने मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय में शाकुम्भरी के स्थान पर मां शाकम्भरी राज्य विश्वविद्यालय किए जाने की मांग की। आचार्य कमल किशोर ने आज यहां पत्रकारों के साथ वार्ता करते हुए बताया कि उनके नेतृत्व में सहारनपुर के धर्मगुरूओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय नाम में शाकम्भरी के स्थान पर शाकुम्भरी लिखे जाने की त्रुटि की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था तथा इस संदर्भ में दुर्गा सप्तसती श्रीमद् देवी भागवत मूर्ति रहस्य मार्कण्डेय पुराण व स्कन्द पुराण में मां के नाम शाकम्भरी के प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए थे।
उन्होंने बताया कि पत्र में उल्लिखित त्रुटि का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव भास्कर पांडेय तथा मुख्य सचिव उच्च शिक्षा ने सहारनपुर के मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय के कुलसचिव व रजिस्ट्रार को अभिमत आख्या प्रेषित करने का आदेश दिया था जिस पर अभिमत देने के लिए पदमश्री भारत भूषण की अध्यक्षता में राजकीय महाविद्यालय पुवांरका के प्राचार्य डा. विपिन कुमार गिरि और प्रसिद्ध साहित्यकार डा. बिजेंद्र पाल शर्मा की समिति की गठित की गई थी।
समिति ने सर्वसम्मति से आख्या में बताया था कि वस्तुत: शाकुम्भरी शब्द न तो व्याकरणसम्मत है और न ही धर्मसम्मत। इतना ही नहीं शिवालिक पर्वत माला की गोद में स्थित प्राचीन सिद्धपीठ के प्रवेश द्वार पर भी मां शाकम्भरी शब्द ही अंकित है। इसलिए शाकम्भरी शब्द ही उचित है। उन्होंने बताया कि समिति के मतानुसार यदि विश्वविद्यालय के प्रारम्भिक नाम सहारनपुर राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर से राज्य शब्द को भी संशोणित नाम मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर में जोड़ दिया जाए तो विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं व जनमानस में इसकी गरिमा और आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा।