पटना/नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, और इसे लेकर आगामी शीतकालीन सत्र में बिल लाया जा सकता है। इस फैसले के बाद विपक्ष ने नाराजगी जताई है। राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने इसे लेकर कई सवाल उठाए हैं।
मनोज झा की प्रतिक्रिया
राजद नेता मनोज झा ने एएनआई से बातचीत में कहा, “इस देश में पहले भी वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नया या अद्वितीय हीरा नहीं ला रहे हैं। 1962 के बाद यह इसलिए हट गया क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगा था।”
उत्तर प्रदेश में सरकार गिरने पर सवाल
मनोज झा ने वन नेशन वन इलेक्शन के व्यावहारिक पहलुओं पर सवाल उठाते हुए कहा, “मान लीजिए, अगर चुनाव होते हैं और उत्तर प्रदेश की सरकार बीच में गिर जाती है, तो क्या होगा? क्या आप राष्ट्रपति शासन लगाएंगे? या फिर से चुनाव कराएंगे? या राज्यपाल के माध्यम से अगले चुनाव तक व्यवस्था चलाएंगे?”
‘ध्यान भटकाने का प्रयास’
झा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला केवल जनता का ध्यान भटकाने के लिए है। उन्होंने कहा, “आज देश को रोजगार चाहिए। क्या वन नेशन वन इलेक्शन से रोजगार के करोड़ों अवसर पैदा हो जाएंगे? ये लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं।”
जेएमएम की प्रतिक्रिया
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी इस मुद्दे पर कहा, “यह देश संघीय ढांचे पर चलता है, और यह फैसला हमें साम्राज्यवाद की ओर धकेल रहा है। यह न तो व्यावहारिक है और न ही संभव। यह संविधान के खिलाफ एक हमला है।”
इस प्रकार, विपक्षी दलों ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर गहरी आपत्ति जताते हुए इसे संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ करार दिया है।