प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल ¨सह ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर मैदान में उतरने के संकेत दिए हैं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सैफई परिवार इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से भले ही कुछ कहने को तैयार नहीं है, लेकिन राजनीति के जानकार शिवपाल की इस राजनीतिक चाल को दूर की कौड़ी बता रहे हैं। सैफई परिवार में कलह, सुलह और फिर कलह के बाद शिवपाल के लिए कोई विकल्प बचा ही नहीं था। राजनीति के नजरिए से मैनपुरी और मुलायम एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। मुलायम के बाद कौन? शिवपाल ने एलान करके बता दिया है कि वह हैं।
मुलायम सिंह की सियासी जमीन पर अपना दांव भी चल दिया है। तौर-तरीका भी मुलायम सिंह का ही अपना रहे हैं। मैनपुरी में जो-जो मुलायम के हैं, उन्हें-उन्हें अपना बना रहे हैं। पुराने सपाई खुश हों या परेशान, वे हर अवसर पर संवेदनशील होना भी नहीं भूल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद वे आधा दर्जन से ज्यादा बार विभिन्न अवसरों पर यहां आ चुके हैं। हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव महज तीन बार ही मैनपुरी आए हैं।
शिवपाल का जब-जब मीडिया से सामना होता है, वे एक ही बात स्पष्ट करते हैं कि नेताजी (मुलायम सिंह) के सामने चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं। हां, वह चुनाव नहीं लड़े तो हम मैदान में जरूर आएंगे। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इसमें शिवपाल के साथ ही उनके बेटे आदित्य भी शामिल हैं। मैनपुरी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में शामिल जसवंतनगर विस सीट (इटावा) से मौजूदा विधायक शिवपाल ने दूरगामी दांव खेला है। अगले लोकसभा चुनाव में अगर मुलायम सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरते हैं तो शिवपाल खुद लड़ सकते हैं या अपने बेटे आदित्य को उतार सकते हैं। खुद लोकसभा चुनाव लड़े तो आदित्य को जसवंतनगर विस सीट विरासत में दे सकते हैं। जसवंत नगर सीट मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है। इन दोनों ही विकल्प के लिए शिवपाल का मैनपुरी जिले में मुलायम के कदमों पर चलना आवश्यक है। संघर्ष के दिनों में मुलायम के साये की तरह रहे शिवपाल ने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने प्रेरणा भी ली मुलायम सिंह के संस्कार और सिद्धांत से। विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल सिंह यादव छह बार मैनपुरी आ चुके हैं। यादवों की बहुलता वाले करहल विधानसभा क्षेत्र में पांच बार उनकी आमद हुई है। इसी विधानसभा सीट से अखिलेश यादव विधायक हैं। अपने पिता की तरह, आदित्य भी इसी राह पर चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव के बाद वह भी मैनपुरी, खासतौर पर यादव बाहुल्य करहल क्षेत्र में तीन बार आकर लोगों से मेल-मुलाकात कर चुके हैं
कुछ तो कहती हैं ये मुलाकातें
शिवपाल सिंह करहल के जैन इंटर कालेज के प्रबंधक रहे महेंद्र कुमार जैन के भाई शैलेंद्र कुमार जैन के निधन पर संवेदना व्यक्त करने आए थे। मुलायम सिंह इसी कालेज में शिक्षक रहे हैं। मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु रहे नत्थू सिंह के बेटे सुभाष चंद्र यादव (पूर्व राज्यमंत्री) के यहां आकर भी मंत्रणा की। मुलायम के करीबियों में गांव अंडनी में मातादीन यादव, सत्यप्रकाश, तुलसीराम यादव, अजब सिंह यादव, जगराम सिंह और किशनी में पूर्व चेयरमैन हाकिम सिंह यादव के यहां भी शिवपाल विभिन्न अवसरों पर आ चुके हैं।