ममता बनर्जी के पास सिर्फ 85 दिन, नहीं बनी विधायक तो गया CM पद

- ममता को पद पर बने रहने के लिए किसी और सीट से चुनाव जीतना होगा. उपचनाव की तारीख तय नहीं होने से उलझ रहा पेंच
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के लिए अब अपनी कुर्सी बचाना और मुश्किल होता दिख रहा है. इसकी वजह बना है हाईकोर्ट का 15 नवंबर तक सुनवाई टालना. नंदीग्राम में शुवेंदु अधिकारी के हाथों मिली हार को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टलने से अब दीदी को किसी और सीट से चुनाव जीतना जरूरी हो गया है. संवैधानिक परिपाटी के अनुसार मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर ममता बनर्जी का विधायक बनना जरूरी है. इस लिहाज से दीदी के पास अब महज 2 महीने 24 दिन ही बचे हैं. 15 नवंबर तक सुनवाई टलने से यह साफ हो गया है कि दीदी 5 नवंबर तक भवानीपुर से चुनाव जीत कर नहीं आ सकती हैं. गौरतलब है कि टीएमसी लगातार चुनाव आयोग से उपचुनाव की तारीख घोषित करने की मांग करती आ रही है, लेकिन इस सिलसिले में आयोग ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है.
उपचुनाव की तारीख नहीं तय
गौरतलब है कि टीएमसी चुनाव आयोग से लगातार पड़ी सीटों पर उपचुनाव कराने के लिए कह रही है. ममता बनर्जी को सीएम बने रहने के लिए 5 नवंबर से पहले विधानसभा का सदस्य बनना होगा. तृणमूल कांग्रेस को डर है कि कोरोना महामारी के चलते अगर उपचुनाव में देर हुई तो ममता को अपने पद से इस्तीफा देना होगा. गौरतलब है कि ममता की पारंपरिक सीट भवानीपुर से टीएमसी के शोभनदेव चट्टोपाध्याय चुनाव जीता था. उन्होंने ममता बनर्जी के लिए यह सीट छोड़ दी है. ममता बनर्जी वर्ष 2011 से इस सीट पर दो बार विधायक बन चुकी हैं. शुवेंदु अधिकारी जब टीएमसी छोड़कर बीजेपी में चले गए तो ममता ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. ममता करीब दो हजार वोटों से चुनाव हार गई थीं. ऐसे में दीदी ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने बीजेपी के दबाव में गलत चुनाव परिणाम घोषित किया है.
अब दीदी के पास 5 नवंबर तक का वक्त
इसी परिणाम को चुनौती देते हुए दीदी ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस मसले की सुनवाई 15 नवंबर तक चाल दी. चूंकि दीदी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए 5 नवंबर तक विधायक बनना ही है. ऐसे में उनके पास 2 महीने और 24 दिन ही बचे हैं. इधर चुनाव आयोग भी उपचुनाव की तारीख घोषित नहीं कर रहा है. सीएम बनने के छह महीने के भीतर ममता को विधायक बनना जरूरी है. ऐसे में अब यह तय हो गया है कि ममता को पद पर बने रहने के लिए किसी और सीट से चुनाव जीतना होगा.