ममता कैबिनेट के शपथ ग्रहण से पहले नारदा घोटाले में मुकदमे को हरी झंडी

- बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के बीच ‘तू डाल-डाल मैं पात-पात’ का खेल जारी है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी शनिवार को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी हैं. यह अलग बात है कि उनके और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच ‘तू डाल-डाल मैं पात-पात’ का खेल जारी है. सोमवार सुबह पौने ग्यारह बजे दीदी अपने मंत्रियों को शपथ दिलवाएंगी. यह अलग बात है कि राजभवन के थ्रोन हॉल में शपथ ग्रहण से ऐन पहले राज्यपाल ने नारदा घोटाले में पूर्व मंत्रियों और तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारियों फ़रहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. जाहिर है कि इससे दोनों के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बनती दिख रही है.
43 सदस्यीय होगी कैबिनेट
जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी के 43 सदस्यीय मंत्रिमंडल में पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा और पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी सहित कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है. माना जा रहा है कि ममता की टीम में 25 पुराने चेहरे और 18 नए होंगे. इन 43 में से नौ राज्यमंत्री होंगे. अमित मित्रा और दो अन्य मंत्री वर्चुअल शपथ लेंगे. अनुभवी सुब्रत मुखर्जी, पार्थ चटर्जी, फिरहाद हकीम, अरूप विश्वास, सुजीत बोस, चंद्रिमा भट्टाचार्य और शशि पांजा मंत्री के रूप में वापसी कर सकते है. इसके अलावा मानस भुइयन को भी कैबिनेट टीम में जगह मिलेगी सकती है. वो राज्यसभा सांसद थे और इस बार विधानसभा चुनाव लड़े थे. इसके बाद नवनिर्वाचित सरकार की कैबिनेट की पहली बैठक दोपहर 3 बजे होगी.
नारदा घोटाले में राज्यपाल का दांव
ऐसे में शपथ ग्रहण से पहले राज्यपाल का नारदा घोटाले को लेकर मास्टर स्ट्रोक ममता बनर्जी को उत्तेजित कर सकता है. दरअसल ममता बनर्जी के मंत्रीमंडल के शपथ ग्रहण से ठीक पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारदा घोटाले में फ़रहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई है. बताते हैं कि राज्यपाल की ओर से दी गई इस मंजूरी के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भौहें चढ़ गई हैं. ऐसे में उनके मंत्रियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई अब ममता को रास नहीं आ रही है. इस मामले में टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल है लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की ओर से मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलने के कारण सीबीआई ने अभी तक उनपर मुकदमा नहीं चलाया है.
यह है नारदा घोटाले
गौरतलब है कि साल 2014 में दिल्ली का एक पत्रकार कोलकाता आया था. उसने अपने आपको एक बिजनेस मैन की तरह बताया और बंगाल में निवेश करने की योजना बनाते हुए सात तृणमूल सांसदों, चार मंत्रियों, एक विधायक और एक पुलिस अधिकारी को रिश्वत के रूप में नकद राशि देते हुए पूरे ऑपरेशन को टेप किया. राज्य में 2016 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस टेप को जारी किया गया था. इस टेप के मीडिया में आने के बाद विपक्ष ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोल दिया था.