मुंबई। एकनाथ शिंदे ने भले ही शिवसेना के विधानमंडल दल के साथ-साथ संसदीय दल में भी बड़ी सेंध लगा ली हो। उद्धव ठाकरे की सरकार गिराकर अपनी सरकार भी बना ली हो। लेकिन लगभग 55 साल पुरानी शिवसेना के संगठात्मक ढांचे पर कब्जा करना उनके लिए भी आसान नहीं होगा। क्योंकि शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे ने शिवसेना का संगठनात्मक ढांचा ही ऐसा खड़ा किया है।

महाराष्ट्र के जिले-जिले में अपनी शाखाओं एवं शाखा प्रमुखों के मजबूत आधार पर खड़ी शिवसेना में शिवसेना प्रमुख यानी उद्धव ठाकरे के नीचे 12 नेता, 30 उपनेता, पांच सचिव, दो मुख्य प्रवक्ता- राज्य सभा सदस्य संजय राउत एवं लोकसभा सदस्य अरविंद सावंत, एवं 10 प्रवक्ता हैं। शिवसेना के संगठन को मजबूती देने में उसके आनुषंगिक संगठनों की भी बड़ी भूमिका रही है। ये आनुषंगिक संगठन हैं- युवा सेना, महिला आघाड़ी, भारतीय कामगार सेना एवं स्थानीय लोकाधिकार समिति महासंघ। जब तक शिंदे इन सभी संगठनों में अपनी पैठ नहीं बना पाते, तब तक शिवसेना के मूल संगठन पर कब्जा कर पाना उनके लिए टेढ़ी खीर ही साबित होगा।

जानें उन दो वरिष्ठ नेताओं को, जिन्हें उद्धव ने निकाला

इस बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मूल शिवसेना से दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्री रामदास कदम एवं पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रामदास कदम न सिर्फ तीन बार मंत्री रहे हैं, बल्कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं। वह कोकण के रत्नागिरि क्षेत्र में शिवसेना के मजबूत स्तंभ माने जाते रहे हैं। लेकिन हाल ही में दापोली क्षेत्र से विधायक उनके पुत्र योगेश शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं।

रामदास कदम ने भी आज उद्धव ठाकरे द्वारा खुद को शिवसेना से निष्कासित किए जाने से पहले खुद ही शिवसेना छोड़ने की घोषणा कर दी थी। उनके भाजपा में जाने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल भी कुछ दिन पहले ही शिवसेना छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं।