मुंबई : मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को थोड़ी मोहलत देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बांबे हाई कोर्ट को आश्वस्त किया कि उनको नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। उनको अपने खिलाफ दर्ज मामले में सहयोग करना होगा। सोमवार को राज्य सरकार के वकील दारियस खंबाटा ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह आश्वासन दिया कि यदि सिंह अपने खिलाफ एससी/एसटी कानून के तहत दर्ज मामले की जांच में सहयोग करते हैं, तो उन्हें नौ जून तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। यह पीठ पुलिस निरीक्षक भीमराव घडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। खंबाटा ने कहा कि सिंह को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका को लेकर किसी राहत का अनुरोध नहीं करना चाहिए।

सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और पुलिस से वसूली कराने के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के बाद देशमुख ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सिंह ने शीर्ष कोर्ट में पिछले हफ्ते दायर अपनी नई याचिका में आरोप लगाया था कि देशमुख के खिलाफ शिकायत करने के बाद से ही उन्हें राज्य सरकार परेशान कर रही है। उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज मामलों को महाराष्ट्र से बाहर हस्तांतरित करने तथा सीबीआइ जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की। राज्य सरकार के वकील ने हाई कोर्ट से कहा कि सिंह एक साथ दो घोड़ों पर सवार नहीं हो सकते। वह एक ही मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों से राहत नहीं मांग सकते। पीठ ने राज्य सरकार का यह बयान स्वीकार कर लिया कि वह नौ जून तक सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी। सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने इस पर सहमति जताई। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई नौ जून तक के लिए टाल दी। हालांकि हाई कोर्ट ने शीर्ष कोर्ट में दायर सिंह की याचिका में इस बयान पर नाखुशी जताई कि हाई कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं कर रहा, इसलिए उन्हें शीर्ष कोर्ट जाना पड़ा। न्यायमूíत शिंदे ने कहा कि हमें दु:ख हुआ। आप यह कैसे कह सकते हैं कि उनके मामले की सुनवाई नहीं हो रही है। इस पर जेठमलानी ने माफी मांगी और कहा कि हम शीर्ष कोर्ट में दायर याचिका से यह बयान वापस लेंगे।