मध्यप्रदेश: कांग्रेस विधायक ने किया सीएए का समर्थन, कहा- एनआरसी से अलग देखने की जरुरत
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इसे लोकतंत्र के खिलाफ बता चुकी हैं। मगर उनकी पार्टी के ही एक विधायक इससे एकमत नहीं है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) से अलग देखे जाने की जरुरत कहा है। इस विधायक का नाम हरदीप सिंह डांग है जिन्होंने सीएए का समर्थन किया है।
प्रताड़ितों को यहां सुविधाएं मिले तो कोई बुराई नहीं
मंदसौर जिले की सुवासरा सीट से कांग्रेस विधायक डांग ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, ‘पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में परेशान व्यक्ति को यहां सुविधाएं मिलने में और यदि हम सीएए और एनआरसी को अलग-अलग देखते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि जो लोग पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं, यहीं पले-बढ़े हैं एनआरसी के तहत उनसे उनसे दस्तावेज मांग जा रहे हैं।’
सीएए-एनआरसी को एकसाथ देख रहे हैं लोग
कांग्रेस विधायक ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘पूरी राजनीति इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द घूम रही है कि लोग सीएए और एनआरसी को एकसाथ जोड़कर देख रहे हैं।’ कांग्रेस विधायक का कहना है कि उनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया था।
शिवराज ने कांग्रेस विधायक को कहा धन्यवाद
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके हरदीप सिंह डंग को धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस विधायक श्री हरदीप सिंह डंग ने सीएए को पढ़ा और ढंग से समझा, इसके लिए उनको धन्यवाद। कांग्रेस के बाकी नेताओं से मेरा अनुरोध है कि श्री हरदीप सिंह डंग से सीख लें। कम से कम एक बार सीएए के बारे में पढ़ लें। इसमें गलत कुछ नहीं है। पढ़ें, समझें और श्री डांग को फॉलो करें।’
कांग्रेस कर रही है सीएए वापस लेने की मांग
कांग्रेस विधायक का यह बयान ऐसे समय पर सामने आया है जब दिल्ली में हुई बैठक के दौरान कांग्रेस कार्यसमिति ने सीएए को वापस लेने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि सीएए को वापस लिया जाना चाहिए और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगनी चाहिए।
क्या है सीएए कानून
हाल ही में संसद द्वारा पारित होने के बाद बने नागरिकता संशोधन कानून 2019 में तीन देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के नियम आसान बनाए गए हैं। ये तीन देश हैं- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश। इन तीनों देशों में रहने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदाय के धार्मिक रूप से पीड़ित लोगों को नागरिकता दी जाएगी।