मुसलमानों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार: मदनी ने जताई चिंता

मुसलमानों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार: मदनी ने जताई चिंता
मौलाना अरशद मदनी

देवबंद (सहारनपुर)। संभल में मस्जिद और अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह को लेकर निचली अदालतों के फैसलों पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इन फैसलों का उपयोग करते हुए सांप्रदायिक तत्व और कानून के रक्षक मुसलमानों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रहे हैं, जिससे देश में भय और असुरक्षा का माहौल बन रहा है।

मदनी ने रविवार को जारी अपने बयान में कहा, “संभल की घटना अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा है। इसने संविधान, न्याय और धर्मनिरपेक्षता की भावना को चोट पहुंचाई है। मस्जिद के संबंध में अदालत के फैसले के बाद अब अजमेर में सैकड़ों साल पुरानी ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर हिंदू मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। यह हैरत की बात है कि ऐसी याचिकाओं को अदालतें सुनवाई के योग्य मान रही हैं।”

‘सुप्रीम कोर्ट है अंतिम सहारा’

मदनी ने कहा कि इस तरह के माहौल में सुप्रीम कोर्ट ही न्याय और धर्मनिरपेक्षता को बचाने का अंतिम सहारा है। उन्होंने बताया कि जमीयत ने इबादतगाह सुरक्षा कानून की स्थिरता और प्रभावी अमल के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर चार दिसंबर को सुनवाई होगी।

भाजपा सरकार पर सपा का हमला

इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल में हुई हिंसा के लिए भाजपा सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। अखिलेश ने कहा, “यह झगड़ा पूरी तरह से सरकार और प्रशासन का प्रायोजित था। अगर 24 नवंबर को पर्याप्त तैयारी होती, तो इस हिंसा को रोका जा सकता था। यह सरकार और प्रशासन की नाकामी का नतीजा है।”

सपा ने संभल हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है और योगी सरकार से 25-25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है। पार्टी ने कहा कि भाजपा सरकार की विफलता के कारण पांच लोगों की जान गई और हिंसा इतनी बड़ी हुई।