घाड क्षेत्र में लंपी स्किन डिजीज बीमारी ने पसारे पैर,

  • कई मवेशियों की स्किन पर गुठली सूजन के मामले आए सामने,
  • पशु चिकित्सा विभाग ने मामले का लिया संज्ञान, जल्द शुरू होगा इलाज…

बिहारीगढ़। कस्बा बिहारीगढ़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत कालूवाला, पहाड़ीपुर (जहानपुर), कुरड़ीखेड़ा, चांडीघेर, सतपुरा आदि में कई मवेशियों की स्किन पर गुठली एवं सूजन के दाग दिखाई देने के कारण ग्रामीणों को किसी गंभीर बीमारी की आहट का एहसास हो रहा है, पशु पालकों में इस रहस्यमई बिमारी से दहशत का माहौल बना हुआ है, क्षेत्र के झोलाछाप पशु चिकित्सक महंगा इलाज कर ग्रामीणो की जेब ढीली करने में लगे हुए हैं। घाड क्षेत्र के गांव जहानपुर निवासी चमन लाल, राजेश चौहान, सोनी, नाथीराम प्रजापति, बिरमपाल चौहान, एवं चांडीघेर निवासी मुरसलीन ने बताया कि उनकी गायो की स्किन पर गुठलियों के निशान उभर आए हैं और सूजन के धब्बे दिखाई दे रहे हैं, कई दिनों से वह घास भी नहीं खा रहे हैं ऐसे में हमें किसी गंभीर बीमारी का अंदेशा हो रहा है।

पशुओं में फैल रही इस रहस्यमई बिमारी के बारे में जब मुजफ्फराबाद ब्लाक के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक गिल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि घाड क्षेत्र में लंपी स्किन डिजीज के कई मामले सामने आए हैं, जिसके लिए पशु चिकित्सा विभाग पूरी तरह से सतर्क है, और बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी दवा का इंतजाम किया जा रहा है, उन्होंने बताया कि इस बिमारी के कई लक्षण है जिसमें मवेशियों को बुखार, वजन कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना शामिल है।

इसके साथ ही इस रोग से शरीर में गांठें भी बन जाती हैं, इस बिमारी से ग्रस्त पशु घास खाना कम कर देता है, मादा मवेशियों पर इस बीमारी का कुछ ज्यादा असर देखने को मिल रहा हैं, बांझपन, गर्भपात, निमोनिया आदि मामले सामने आए हैं। डॉ अशोक गिल ने पशु पालकों को सलाह दी है कि इस बीमारी में पशुओं के खानपान हरा चारा और फीड आदि पर विशेष ध्यान दें सुबह शाम बुखार की दवा जरूर दे किसी प्रकार का टीकाकरण कराने से बचें, वर्तमान में देखभाल की जरूरत है 7 दिन से 14 दिनों तक इस बीमारी का असर रहता है उसके बाद बीमार पशु सामान्य स्थिति में लौट जाएगा।

डॉक्टर अशोक गिल का कहना है कि गांव में कुछ अनट्रेंड पशु चिकित्सक लोगों को गुमराह कर पशुओं को तरह-तरह के इंजेक्शन लगा रहे हैं जो सही नहीं अभी तक इस बीमारी से पशुओं को मुक्ति दिलाने के लिए कोई खास दवाई नहीं है आमतौर पर दी जाने वाली बुखार की दवाई इसका बेहतर इलाज है पशुओं को पोस्टिक चारा ही इस बीमारी से बचाने में मददगार साबित हो रहा है पशुओं की अच्छी देखभाल से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। चिंता की ऐसी कोई बात नहीं उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया है कि ग्रामीण अपने पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में मुजफ्फराबाद पशु चिकित्सालय आकर किसी भी समय उनसे संपर्क कर सकता है।