लॉकडाउन: पुलिस के निशाने पर दवा विक्रेता, सामने आए मारपीट कई मामले, व्यापारियों ने दी चेतावनी
लॉकडाउन के चलते मेरठ पुलिस की तरफ से लगातार सख्ती बढ़ाई जा रही है। कोरोना काल में विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे दवा व्यापारी ही पुलिस के निशाने पर हैं और उनके साथ मारपीट की जा रही है। उन्हें गाड़ी से उतारकर खींचा जा रहा है। उनके जबरन चालान या वाहन सीज किए जा रहे हैं। खैरनगर चौराहा, दवा बाजार और घंटाघर के आसपास पुलिस जरूरत से ज्यादा ही सख्ती बरत रही है। मंगलवार को तीन दवा विक्रेताओं के साथ मारपीट के मामले सामने आए हैं। दवा व्यापारियों ने इस उत्पीड़न पर प्रशासन को चेताया कि यदि पुलिस का व्यवहार नहीं सुधरा तो 14 मई को खैर नगर दवा मार्केट बंद रखा जाएगा। इसकी जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की होगी।
मंगलवार को दिल्ली रोड पर दवा एजेंट राजेश के साथ पुलिस ने मारपीट की। वहीं, दवा सप्लाई करने जा रहे दानिश के साथ मारपीट की और बाइक का चालान कर दिया। पीड़ित दवा एजेंटों ने जिला मेरठ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों से शिकायत की। एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने कहा कि औषधि निरीक्षक को दवा व्यापारियों के लाइसेंस को सत्यापन करने व उसी को पास के रूप में उपयोग करने के लिए अधिकृत किया गया था। लेकिन पुलिसकर्मी उस पास को नहीं मान रहे। पुलिस ने इसे लेकर काफी व्यापारियों के चालान काट दिए हैं।
उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि पुलिस को निर्देशित किया जाए ताकि वह दवा व्यापारियों के साथ अभद्रता न करें। ना ही उनके चालान काटे जाएं। यदि कोई परेशानी है तो जिला पुलिस-प्रशासन, औषधि निरीक्षक से बात करवाने का प्रयास करें, जिससे उनकी शंका दूर की जा सके। उन्होंने कहा कि पुलिस के इस व्यवहार को देखकर व्यापारी दुकान खोलने से डर रहा है। पुलिस ने यदि उत्पीड़न बंद नहीं किया तो 14 मई को दवा व्यापार मार्केट नहीं खोला जाएगा। दवा व्यापारी किसी भी कीमत पर पुलिस द्वारा की जा रही गुंडई बर्दाश्त नहीं करेंगे। जरूरत पड़ी तो सोशल डिस्टेंस के साथ धरना भी दिया जाएगा। इस संबंध में एडीएम सिटी एवं अन्य अधिकारियों को अवगत कराया गया है। इस दौरान मनोज शर्मा, सुधीर कुमार, अंकुर सहारण, पीयूष, गौरव रस्तोगी, सुनील अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
लगातार बढ़ रहे मामले
दवा व्यापारियों का कहना है कि कोरोना काल में दवा व्यापारी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। लेकिन पुलिस-प्रशासन उन्हें सहयोग करने के बजाय उनका उत्पीड़न करने में लगा है। पुलिस जब मन चाहे दवा विक्रेता को पीट देती है। उनके वाहनों की हवा निकाल देती है। वाहनों का चालान कर देती है या सीज कर देती है। ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इनके चलते मेडिकल स्टोर संचालक दवा बाजार आने से डर रहे हैं। जिससे शहर में दवा की कमी भी हो सकती है। पुलिस-प्रशासन को इस तरह की कार्रवाई करने के बजाय व्यवस्था बनानी चाहिए।