कानून-व्यवस्था व सोशल इंजीनियरिंग भाजपा के लिए साबित हुई संजीवनी

सहारनपुर [24CN]। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए विकास व कानून-व्यवस्था के दम पर भाजपा जिले में पांच सीटों पर अपना परचम लहराने में कामयाब रही। जबकि हाल ही में भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होकर नकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मंत्री डा. धर्मसिंह सैनी को भी जयश्रीराम के नारे का विरोध करना महंगा पड़ा तथा वे भी मतदाताओं के गुस्से का शिकार हो गए।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बनी राज्य सरकार ने एक ओर जहां अपना पूरा ध्यान कानून-व्यवस्था पर केंद्रित किया, उसके परिणामस्वरूप प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों में लिप्त बदमाश या तो जेल गए या फिर दूसरे प्रदेशों को पलायन कर गए। इसका परिणाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में एक ओर जहां आपराधिक घटनाओं में कमी आई, वहीं दूसरी ओर छेड़छाड़ को लेकर होने वाली घटनाओं पर भी अंकुश लग सका।
हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा कानून-व्यवस्था व विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी जिसका परिणाम यह रहा कि जहां भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रैली करने जाते थे, वहीं भाजपा समर्थक बुलडोजर ले जाते थे जिसका प्रतीकात्मक संदेश देना था कि यदि पुन: भाजपा की सरकार बनी तो तब भी बाबा का बुलडोजर अनवरत जारी रहेगा।
इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग का भाजपा के प्रति झुकाव भी संजीवनी साबित हुआ जिसके परिणामस्वरूप भाजपा एक ओर जहां सहारनपुर में पांच सीटों पर अपना परचम लहराने में कामयाब रही। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिले में मात्र चार सीटें ही मिली थी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत के चलते पुन: 271 विधानसभा सीटों पर अपना परचम लहराने में कामयाब रही।
सहारनपुर विधानसभा सीट पर बसपा के कमजोर प्रत्याशी के चलते भाजपा को इसका फायदा मिला जिसके परिणामस्वरूप भाजपा प्रत्याशी राजीव गुम्बर ने वर्तमान विधायक संजय गर्ग को पराजित कर 2017 के चुनाव में मिली शिकस्त का बदला ले लिया। जबकि बसपा प्रत्याशी मनीष अरोड़ा अपनी जमानत भी गंवा बैठे। इसके अलावा जनपद की सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के अलावा आजाद समाज पार्टी व बैरिस्टर असदउद्दीन ओवैशी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के प्रत्याशी भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए।