मार्च का अंतिम हफ्ता 5 साल में सबसे साफ: सीएसई

- दिल्ली की एयर क्वॉलिटी में सुधारा जारी है
- लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण में आई काफी कमी
- मार्च केा अंतिम हफ्ता पिछले 5 सालों में सबसे साफ रहा
- पीएम 2.5 में तय मानकों से काफी ज्यादा गिरावट दर्ज की गई
नई दिल्ली
लॉकडाउन के बीच घरों में कैद जिंदगी के बीच मार्च का अंतिम हफ्ता पिछले पांच सालों का सबसे साफ हफ्ता रहा है। इस हफ्ते प्रदूषण का स्तर तय मानकों से बहुत अधिक कम रहा है। आमतौर पर जून में ही बारिश के बीच इस तरह की साफ हवा राजधानी के लोगों को नसीब होती है।
लॉकडाउन के समय सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट सीएसई ने दिल्ली की हवा पर पड़े असर को लेकर स्टडी में यह खुलासा किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्री मॉनसून बारिश के बावजूद जून में भी दिल्ली को इतनी साफ हवा नहीं मिलती। कोरोना की वजह से किए गए लॉकडाउन का असर यूं तो पूरे देश की हवा पर पड़ा है। पीएम 2.5 के स्तर में लगातार कमी आ रही है। जिसके बाद सीएसई ने 5 साल के हफ्तों का प्रदूषण का आकलन किया है।
इसमें मॉनसून के तीन महीने जुलाई, अगस्त और सितंबर शामिल नहीं हैं। इस आंकलन में यह सामने आया है कि मार्च का अंतिम हफ्ता 2016 से अब तक सबसे साफ रहा है। आमतौर पर इतनी साफ हवा मॉनसून के अलावा जून में ही दिल्ली वालों को मिलती है, जब प्री मॉनसून बारिश शुरू हो जाती है। यह पहला मौका है जब मार्च में इतना प्रदूषण का स्तर इतना कम है।
मार्च का अंतिम हफ्ता पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत तक साफ रहा। इस अंतिम हफ्ते के दौरान हर दिन पीएम 2.5 तय मानकों से कम दर्ज किया गया। मार्च में आमतौर पर सर्दियों की स्मॉग की परत हल्की हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर इतना कम नहीं होता है। इस समय हवा में खुलकर सांस ले सकते हैं, आसमान नीला है।
सीएसई के अनुसार लॉकडाउन ने प्रदूषण पर काम कर रहे लोगों को एक मौका दिया है, जबकि वह समझ सकते हैं कि यदि प्रदूषण के कारणों पर सख्ती की जाए तो प्रदूषण को कितना कम किया जा सकता है। लॉकडाउन के खत्म होने के बाद इस तरह की हवा को बनाए रखने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं।