गाजीपुर जेल में PCO मामले में बड़ी कार्रवाई, जेलर व डिप्टी जेलर सस्पेंड; कारागार अधीक्षक पर भी एक्शन की तैयारी

लखनऊ। कारागार से बंदी के फोन करने के मामले में गाजीपुर कारागार के जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी को निलंबित कर दिया गया है। डीआइजी कारागार राजेश कुमार श्रीवास्तव की जांच के आधार पर कारागार अधीक्षक अरुण प्रताप सिंह के विरुद्ध भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।गाजीपुर कारागार में बंद विनोद कुमार गुप्ता की बीते दिनों एक आडियो वायरल हुई थी, जिसमें वह किसी व्यक्ति के साथ गवाही न देने को लेकर सौदा कर रहा था। विनोद बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं के साथ ठगी करने का आरोपित है।
आरोप है कि बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर उसने 100 से अधिक युवाओं के साथ ठगी की है। आडियो वायरल होने के बाद डीजी कारागार पीवी रामशास्त्री ने डीआइजी को मामले की जांच सौंपी थी। जांच में यह बात सामने आइ है कि वंदी विनोद जेलर व डिप्टी जेलर के साथ सांठगांठ करके जेल के अंदर से गवाहों को फोन करता था। उसने कुछ गवाहों को फोन पर धमकी भी दी थी। पीड़ितों की शिकायत पर चार मार्च को गाजीपुर के रेवतीपुर थाने में पुलिस ने एफआइआर दर्ज की थी।
जिलाधिकारी, आर्यका अखौरी ने बताया
जिला जेल में ठगी के आरोप में बंद विनोद गुप्ता ने बीते दिनों जेल से काल करके मुकदमा वापस लेने की पीड़ित को धमकी दी थी। पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की तो इसकी जांच शुरू की गई। मैंने व पुलिस अधीक्षक ने पूरे मामले की जांच की। इसमें आरोप सही पाया गया। जांच में यह भी मिला कि जेल में अवैध पीसीओ चल रहा है। जिससे कुछ बंदियों की बात कराई जा रही है और इसके लिए रकम वसूली की जा रही थी। इसमें जेलर का रीडर भी दोषी पाया गया। दूसरी तरफ डीआइजी जेल ने भी मामले की जांच की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर जेलर राकेश वर्मा और डिप्टी जेलर सुखावती को निलंबित किया गया है।
बंदियों ने पत्र प्रेषित कर लगाया था कई संगीन आरोप
जेल प्रशासन के खिलाफ जांच चल ही रही थी कि इसी बीच जेल में विचाराधीन कुछ बंदियों ने मुख्यमंत्री, राज्य मानवाधिकार, कारागार मंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी महानिदेशक और कारागार निदेशक को पत्र प्रेषित करते हुए जेलर और कुछ बंदियों के खिलाफ कई संगीन आरोप लगाया था। इससे खलबली मच गई।