बंगाल में ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के द्वंद्व में फंसे लालू यादव, अलग ध्रुवों पर कांग्रेस और तृणमूल
पटना। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रत्यक्ष तौर पर ममता बनर्जी और सोनिया गांधी की पार्टी के बीच आमने-सामने की लड़ाई है तो परोक्ष तौर पर एक लड़ाई राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी लड़ रहे हैं। लालू तय नहीं कर पा रहे हैं कि बंगाल में वह किसका साथ दें और किसकी मुखालफत करें। चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं परंतु अभी तक राजद किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा है। भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस और तृणमूल दोनों अलग-अलग ध्रुवों पर खड़ी हैं। लालू के दोनों से बेहतर संबंध रहे हैं। बिहार में राजद के साथ कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन है तो भाजपा के खिलाफ लड़ाई में ममता ने भी कई मौकों पर लालू का खुलकर साथ दिया है। समय नजदीक है और फैसला लालू को लेना है। इधर या उधर, अंतद्र्वंद्व जारी है।
एक-दो उदाहरण काफी हैं…
भाजपा के खिलाफ झंडा बुलंद कर रही ममता और लालू के संबंधों का अंदाजा लगाने के लिए एक-दो उदाहरण काफी हैं। करीब तीन साल पहले ममता बनर्जी जब देश भर में घूम-घूमकर भाजपा भगाओ-देश बचाओ रैलियां कर रही थीं तो लखनऊ के बाद वह पटना भी आई थीं। 27 अगस्त 2017 को राजधानी में तृणमूल कांग्रेस की सभा हुई थी, जिसमें मंच ममता का था, किंतु दर्शक, श्रोता और कार्यकर्ता का जुगाड़ लालू ने किया था। इससे भी दो साल पहले 2015 में बिहार में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी तो ममता न केवल गांधी मैदान के शपथग्रहण समारोह में आई थीं, बल्कि कार्यक्रम के बाद राबड़ी देवी के घर भी आईं थीं। उस वक्त राजनीति में नवोदित लालू प्रसाद के दोनों पुत्रों ने पैर छूकर दीदी से आशीर्वाद लिए थे। लालू परिवार के प्रति ममता का ममत्व आगे भी जारी रहा।
बंगाल की रणनीति अभी तय नहीं
बिहार से बाहर राजद की संभावना तलाश रहे लालू के लिए अब असमंजस की घड़ी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी स्वीकार किया है कि राजद प्रमुख ने बंगाल की रणनीति अभी तय नहीं की है। भाजपा को हराने की स्थिति में जो रहेगा, राजद उसी का साथ देगा। जारी है, लालू के किसी निर्णय की स्थिति में पहुंचने में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दोस्ती बाधा बन रही है। बिहार में राजद के साथ कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन है। मगर बंगाल में कांग्रेस एवं वामदलों के गठबंधन की तुलना में भाजपा के मुकाबले ज्यादा ताकत से ममता खड़ी हैं। अगर लालू ने ममता बनर्जी का साथ दिया तो बिहार में महागठबंधन के सहयोगियों को बुरा लगेगा और सोनिया से हमदर्दी दिखाई तो ममता से नाता टूटने का खतरा है। असमंजस भारी है।