बिहार चुनाव में जीत के लिए कॉन्फिडेंट हैं लालू यादव , पूरे दिन टीवी पर देखते रहते चुनावी हलचल
पटना । बिहार विधान सभा चुनााव के बीच राजनीतिक सरगर्मी चरम पर है। ऐसा पहली बार है कि बिहार में विधान सभा चुनाव के दौरान राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव यहां नहीं हैं। इस बार चुनाव प्रचार की कमान लालू ने अपने छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को दे दिया है। वे महागठबंधन के सीमए कैंडिडेट हैं। लालू के बड़े बेटे भी समस्तीपुर जिला के हसनपुर सीट पर चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। लालू वे चारा घोटाला मामले में झारखंड में जेल की सजा काट रहे हैं। वर्तमान में रिम्स निदेशक के बंगले में उन्हें रखा गया है। वे वहां से ही बिहार चुनाव के हर गतिविधि की जानकारी लेते रहते हैं। ज्यादातर समय वे टीवी पर समाचार चैनल देखते हैं। इसके अलावा झारखंड राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह और उनके अन्य सहयोगी लालू को बिहार चुनाव से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर से अपडेट रखते हैं।
मोबाइल पर भी चुनाव की बातें
जेल मैनुअल के अनुसार, लालू यादव को पर्सनल मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। मगर उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के मोबाइल फोन पर वे कभी-कभी बात करते हैं। इस दौरान वे बिहार चुनाव की जानकारी लेते हैं और आवश्यक दिशा-निर्देश भी देते हैं। उनकी देखरेख में लगाई गई नर्स से वे कभी -कभी अखबार पढ़कर सुनाने को बोलते हैं।
हमरे सरकार बनेगी
अभय कुशवाहा ने बताया कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी इस बार बिहार विधान सभा चुनाव में जीत के लिए पूरी तरह कॉन्फिडेंट हैं। वे हमेशा कहते हैं कि इस बार हमरे सरकार बनेगी। वे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव की हर चुनावी रैली को टीवी पर देखते रहते हैं।
बता दें कि लालू प्रसाद यादव दिसंबर 2017 से रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में चारा घोटाला की सजा काट रहे थे। हाल ही में उनके स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए उन्हें रिम्स के निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया है। हाल ही में रिम्स के नए निदेशक की नियुक्ति हो गई है। वे 18 नवंबर तक अपना पदभार संभालने रांची आ जाएंगे ।
जीत के लिए दिलवाना चाहते थे बकरे की बलि
उल्लेखनीय है कि इस बार लालू ने दशहरे के अवसर पर रिम्स बंगले में तीन बकरों की बलि दिलवाने की तैयारी करवाई थी। इनमें से एक बलि वे विधान सभा में पार्टी की जीत के लिए दिलवाना चाहते थे। हालांकि, झारखंड सरकार की सख्ती के बाद बकरों की बलि देने की सारी तैयारी धरी रह गई ।