पटना : कृषि कानूनों की वापसी से उत्साहित राजद अब जातिगत जनगणना के लिए बड़ी लड़ाई की तैयारी में है। इसका श्रेय भी वह दूसरे किसी दल को नहीं लेने देना चाहता। यही कारण है कि जदयू के किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले राजद की ओर से व्यापक स्तर पर आंदोलन की तैयारी की जा रही है। तेजस्वी यादव के पटना आने के बाद कार्यक्रम की रूपरेखा तय होगी। लालू प्रसाद ने इसका संकेत भी दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी भी हाल में केंद्र सरकार को जातियों की गिनती करानी ही होगी। कुत्ते-बिल्लियों की गिनती कराई जा रही है तो जातियों की गिनती क्यों नहीं हो सकती है।
लालू के फिर से बिहार आने की संभावना
चारा घोटाले के एक मामले में 23 नवंबर को पटना की विशेष अदालत में सुनवाई है। उसमें लालू के आने की संभावना है। इसके बाद 29 नवंबर से विधानमंडल का शीतकालीन सत्र है। तेजस्वी यादव उसी दौरान जातिगत जनगणना के मुद्दे राज्य सरकार पर आखिरी निर्णय लेने का दबाव बना सकते हैं। इसके पहले बजट सत्र में भी तेजस्वी के नेतृत्व में विपक्ष का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर प्रस्ताव दिया था कि अगर केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है तो राज्य सरकार अपने स्तर से भी करा सकती है। मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन भी मिला था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात भी की थी।
बिहार के सभी दलों की लगभग एक सी राय
बिहार के लगभग सभी दलों की जाति आधारित जनगणना पर एक जैसी राय है। राजद के अलावा जदयू, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, विकासशील इंसान पार्टी, जन अधिकार पार्टी जैसे दल चाहते हैं कि जनगणना में जाति का कालम भी शामिल किया जाए। बिहार भाजपा का रुख इस मसले पर केंद्र के फैसले के अनुरूप रहेगा। पार्टी की ओर से इस फैसले पर सरकार के फैसले को सही बताया जाता रहा है।