पटना। बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव है और आखिरी वक्त में लालू प्रसाद ने प्रचार में आने का फैसला टाल दिया है। राबड़ी देवी ने इसकी वजह लालू की खराब तबीयत को बताया है। किंतु अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की महत्ता में लालू प्रसाद किसी की हिस्सेदारी नहीं चाहते हैं। दरअसल, लालू परिवार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक दोनों सीटों पर राजद प्रत्याशियों की स्थिति ठीक दिखने लगी है। ऐसे में लालू को चुनाव प्रचार में अगर लगाया जाता है तो जीत का श्रेय पूरी तरह तेजस्वी यादव को नहीं मिल सकेगा। लोग कहने लगते कि राजद प्रमुख की मेहनत से ही जीत मिली है। जबकि लालू चाहते हैं कि विधानसभा के आम चुनाव की तरह उपचुनाव में भी तेजस्वी की ही महत्ता स्थापित हो। इसलिए प्रचार के लिए आने का फैसला फिलहाल टल गया है।

राबड़ी के बयान से तरह-तरह की चर्चाएं

चुनाव प्रचार के लिए लालू को 22 अक्टूबर को पटना आना था। राजद की ओर से उनके कार्यक्रम भी तय करके प्रचारित किया जा रहा था। 25 अक्टूबर को कुशेश्वरस्थान और 27 अक्टूबर को तारापुर में जनसभा को संबोधित करना था। बिहार की राजनीति को लालू के प्रचार का इंतजार था। किंतु इसी बीच राबड़ी देवी का बयान आ गया कि राजद प्रमुख इलाज में हैं। वह चुनाव प्रचार में नहीं आ रहे हैं। राबड़ी देवी के बयान के बाद तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। इंटरनेट मीडिया पर मीसा भारती द्वारा लालू की जारी तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा जाने लगा कि लालू तो स्वस्थ दिख रहे हैं। फिर भी आने का प्लान क्यों टाल दिया गया। सवाल यह भी उठाया जाने लगा कि राजद प्रमुख के आने की खबर ही कहीं रणनीति के तहत तो नहीं फ्लैश की गई।

तेजप्रताप ने इशारों में किया तेजस्वी पर वार

दरअसल कुछ दिन पहले तेजप्रताप ने लालू प्रसाद को दिल्ली में मीसा भारती के आवास में बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया था। किसी का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन उनका इशारा तेजस्वी यादव की ओर था। तेजप्रताप के आरोपों का उपचुनाव में गलत संदेश जाता। इसलिए लालू के पटना आने की बात प्रचारित की गई। स्वयं लालू ने भी राजद कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा था कि डाक्टरों की इजाजत लेकर वह जल्द ही पटना आएंगे। अब बदले हालात में आने की जरूरत नहीं समझी जा रही है। इसलिए प्रचार के आखिरी दौर में लालू ने इरादा बदल दिया।

विरोध में भी गोलबंदी का डर 

लालू प्रसाद के प्रचार में लगने से राजद के रणनीतिकारों को दूसरी तरफ भी गोलबंदी होने का डर है। वैसे वोटर जो तेजस्वी को लालू की परंपरागत लाइन से अलग प्रगतिशील युवा मानते हैैं, वे बिदक सकते हैैं। लालू विरोधी मतदाता अगर आक्रामक हो गए तो राजद को नुकसान होने का भी डर है।