मानवता की रक्षा के लिए शास्त्र ज्ञान जरूरी: राजन स्वामी महाराज
सहारनपुर। प्राणनाथ ज्ञानपीठ ट्रस्ट के तत्वावधान में आगामी 15 से 17 दिसम्बर तक सरसावा में त्रिदिवसीय प्राच्य विद्या सम्मेलन में देशभर के 300 संत व विद्वान जुटेंगे। सम्मेलन में वेद, प्राच्य विद्या, उपनिषद, स्मृति, आयुर्वेद, तंत्र, ज्योतिष, मंत्र, सामुद्रिक शास्त्र, योग एवं चिकित्सा पर ज्ञान चर्चा होगी।
दिव्य शक्ति अखाड़ा के मुख्य सेवक और संचालक आचार्य महामंडलेश्वर संत कमल किशोर व प्राणनाथ ज्ञानपीठ के संचालक राजन स्वामी महाराज ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि सरसावा स्थित प्राणनाथ ज्ञानपीठ ट्रस्ट में 15, 16 और 17 दिसम्बर को पूरे देश में संत, महात्मा, महामंडलेश्वर, विद्वान, देवेज्ञ, ज्योतिषि, आयुर्वेद, हस्तरेखा तथा अन्य प्राच्य विद्याओं, वेद शास्त्र संहिता व उपनिषद के विद्वानों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी देश को गुलाम बनाना हो या नष्ट करना हो तो उसकी संस्कृति को नष्ट करना जरूरी होता है। यही कार्य मुगलों और अंग्रेजों ने बखूबी किया। उन्होंने कहा कि मुख्य संरक्षक अर्द्धनारीश्वर भगवान शिव और माता पार्वती द्वारा स्थापित सनातन धर्म की रक्षा तथा इसके प्रचार-प्रसार के कार्य को विश्व पटल पर विस्तारित करने के लिए यह अनूठा ज्ञान प्रदाता सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है जो प्रेम, भक्ति, वीर और मातृभूमि वंदन रस से परिपूर्ण होगा।
उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में पधारने वाले अतिथि ज्योतिपुंज हैं जिनके प्रकाश से सभी के ज्ञान में वृद्धि होगी। सम्मेलन का अर्थ ही समविचार, समविद्या, सम संस्कृति के विद्वानों का सप्रेम मिलन है। संत कमल किशोर ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमारी संस्कृति को नष्ट कर परिवार व समाज को तोडऩे का काम किया है। जबकि भारतीय संस्कृति पूरे विश्व को एक परिवार मानकर उसके कल्याण की बात व मानव को मानव से जोडऩे का काम करती है। प्रबुद्ध राष्ट्र निर्माण के लिए हमें अपनी संस्कृति की ओर लौटना होगा। राष्ट्र बचेगा तो धर्म बचेगा और इसी कड़ी में राष्ट्र सुरक्षा के लिए शस्त्र ज्ञान और मानवता की रक्षा के लिए शास्त्रों का ज्ञान आवश्यक है।