कम्यूनिटी स्प्रेड: जानिए क्या है ये जिसके जिक्र से भी कांप रही है दिल्ली


हाइलाइट्स
- दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले 30 हजार के करीब, स्वास्थ्य मंत्री बोले- कम्यूनिटी स्प्रेड शुरू
- राजधानी में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 27 पर्सेंट के करीब, मरने वालों की संख्या 874
- जब किसी नई जगह पर संक्रमण फैलने की वजह न पता चले तो होता है कम्यूनिटी स्प्रेड
- केंद्र सरकार साफ कह रही, हम अभी वायरस आउटब्रेक के स्टेज 3 में नहीं
नई दिल्ली
भारत अनलॉक-1 में प्रवेश कर चुका है और दिल्ली में कोरोना वायरस (Coronavirus in Delhi) के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं। 8 जून की सुबह तक, दिल्ली में करीब 30 हजार केस हो चुके थे। इनमें से 17 हजार ऐक्टिव केस हैं। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एम्स डायरेक्टर के हवाले से कहा कि कम्यूनिटी स्प्रेड (Community spread) शुरू हो गया है। मगर केंद्र सरकार इसकी घोषणा करेगी, तभी मानेंगे। कम्यूनिटी स्प्रेड यानी वायरस आउटब्रेक की स्टेज 3 बेहद खतरनाक होती है। इसमें संक्रमण के स्त्रोत का पता लगा पाना नामुमकिन हो जाता है।
क्या होता है कम्यूनिटी स्प्रेड?
कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब माना जाता है जब इन्फेक्शन के सोर्स का पता न लग सके। ऐसा तब होता है जब ये पता ना लग सके कि अमुक व्यक्ति को किससे इन्फेक्शन हुआ है। संभव है कि वह कैरियर किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आया हो जो मूल रूप से इन्फेक्टेड कम्यूनिटी से था। उदाहरण के तौर पर, भारत में कम्यूनिटी स्प्रेड का मतलब यह है कि विदेश से लौटे लोगों और उनके संपर्क में आए व्यक्तियों के कॉन्टैक्ट में न आने वाले भी इन्फेक्टेड हो रहे हैं।
कंटेनमेंट के लिए क्या उपाय?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत, प्रभावित इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा सकता है। जहां केस मिला है, उसके चारों तरफ करीब 500 मीटर के दायरे की निगरानी की जाती है। कॉन्टैक्ट्स की स्क्रीनिंग, संदिग्धों की जांच होती है। जरूरत पड़ने पर इलाके को पूरी तरह सील कर दिया जाता है। किसी को आने-जाने की परमिशन नहीं होती। भारत के पास किसी इन्फेक्शन के बड़े आउटब्रेक के लिए प्लान तो है मगर उसमें कम्यूनिटी स्प्रेड के लिए अलग से रणनीति नहीं है। एक बार ट्रांसमिशन थर्ड स्टेज में पहुंचने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।
ऐंटीबॉडी टेस्ट पर क्यों नहीं है वैज्ञानिकों का भरोसा?विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर ऐंटीबॉडी टेस्ट के नतीजे गलत आ रहे हैं। मई में अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन ने कहा कि ऐंटीबॉडी टेस्ट का इस्तेमाल किसी शख्स में इम्यूनिटी का आंकलन करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
भारत ट्रांसमिशन की किस स्टेज में?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन किसी बीमारी को तीन चरणों में बांटता है। छिटपुट केसेज, क्लस्टर में केसेज और कम्यूनिटी ट्रांसमिशन। छिटपुट में वे केसेज आते हैं जो या तो इम्पोर्टेड हैं या लोकली डिटेक्ट हुए हैं। क्लस्टर तब बनता है जब इन्फेक्शन का एक कॉमन फैक्टर या लोकेशन होती है। मसलन मुंबई का धारावी और वर्ली, दिल्ली का निजामुद्दीन असल में क्लस्टर हैं। भारत सरकार के मुताबिक, देश अभी लोकल ट्रांसमिशन की स्टेज में है।
दिल्ली के हालात डरा रहे
देश की राजधानी में कोरोना वायरस की वजह से हालात बेहद खराब हो गए हैं। पिछले 24 घंटे में दिल्ली में 3700 लोगों का कारोना टेस्ट हुआ, इसमें से 1007 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। यानी कुल टेस्टिंग के 27 प्रतिशत लोग संक्रमित थे। पिछले हफ्ते की बात करें तो पॉजिटिविटी रेट 26 प्रतिशत था। यानी प्रति 100 टेस्ट में से 26-27 सैंपल पॉजिटिव मिल रहे हैं। यह आंकड़ा बाकी राज्यों के मुकाबले बहुत ज्यादा है और दिल्ली में कोरोना की पैठ को दिखाता है। दिल्ली में हॉटस्पॉट्स की संख्या बढ़कर 183 हो चुकी है। रविवार तक दिल्ली में हॉटस्पॉट्स की संख्या 169 थी।
दिल्ली में पिछले 7 दिन में यूं बढ़ा कोरोना
तारीख | कुल मामले | कुल मौत |
2 जून 2020 | 22,132 | 556 |
3 जून 2020 | 23,645 | 615 |
4 जून 2020 | 25,004 | 659 |
5 जून 2020 | 26,334 | 708 |
6 जून 2020 | 27,654 | 761 |
7 जून 2020 | 28,936 | 812 |
8 जून 2020 | 29,943 | 874 |
सोर्स: MoHFW
कौन-कौन सी कंपनियां ट्रायल में शामिल
-
इम्युनिटी बूस्टर ड्रग तैयार करने में हमदर्द लैबोरेट्रीज, डाबर, श्री श्री तत्व जैसी कंज्यूमर गुड्स कंपनियां जुटी हैं। उन्होंने ट्रायल को रजिस्टर भी करा लिया है।
-
हमदर्द लैबोरेट्रीज ने यूनानी चिकित्सा पद्धति के आधार पर इम्युनिटी बूस्टर प्रॉडक्ट्स का ट्रायल शुरू कर दिया है। क्लिनिकल ट्रायल एसिम्प्टोमेटिक और संदिग्ध कोविड मरीजों पर किए जाएंगे। ट्रायल के नतीजे दो महीने के भीतर आने की संभावना है।
-
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की आयुर्वेदिक कंपनी श्री श्री तत्व ने बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से हाथ मिलाया है। कंपनी 50 एसिम्प्टोमेटिक और हल्के लक्षण वाले कोविड मरीजों पर इम्युनिटी बूस्टिंग फॉर्म्युलेशंस का ट्रायल करेगी।
-
डाबर इस बात पर रिसर्च कर रहा है कि उसका च्यवनप्राश कोविड-19 को रोक सकता है या नहीं।
-
इन सभी के अलावा परंपरागत भारतीय औषधि, कषाय के प्रभावों पर भी रिसर्च हो रही है।
-
इन क्लिनिकल ट्रायल्स को CSIR, आयुष मंत्रालय सपोर्ट कर रहा है। इसके अलावा टेक्निकल सपोर्ट का जिम्मा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) पर है।
दिल्ली में 14 दिन में डबल हो रहे केस
जैन के मुताबिक, दिल्ली में दो हफ्ते बाद कोरोना के 56,000 से ज्यादा मामले हो सकते हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि दिल्ली में 14 दिन में मामले डबल हो रहे हैं। एक जून को छोड़ दें तो इस महीने रोज 1,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं।
…तो दिल्ली में होंगे 5 लाख केस
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि 31 जुलाई तक साढ़े पांच लाख केस हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि 15 जून तक दिल्ली में कोरोना के कुल केस 44 हजार तक पहुंच सकते हैं। आंकड़ा 30 जून तक बढ़कर एक लाख तक पहुंच सकता है। वहीं 15 जुलाई तक कोरोना केस सवा लेख होंगे और 31 जुलाई तक मरीजों की संख्या साढ़े 5 लाख तक पहुंच सकती है। दिल्ली सरकार का यह आकलन डबलिंग रेट को देखते हुए है।