पायलट के ‘सिंधिया’ बनने में ये पेंच, जानें एमपी से कितना अलग है राजस्थान की राजनीतिक समीकरण
- एमपी से अलग है राजस्थान के राजनीतिक हालात
- अशोक गहलोत ने नहीं की है कमलनाथ वाली गलती
- सचिन पायलट को अडजस्ट कर पाएगी राजस्थान बीजेपी
- सचिन पायलट किस बात को लेकर अशोक गहलोत से हैं नाराज
जयपुर
राज्यसभा चुनाव के बाद से राजस्थान में शुरू हुआ सियासी भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। खरीद-फरोख्त की आशंकाओं के बीच सीएम गहलोत रविवार को दिनभर सरकार बचाने की जुगत में विधायकों से मिलेंगे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस विधायक नए सिरे से सीएम अशोक गहलोत को समर्थन पत्र सौंपेंगे। बदलते घटनाक्रम के बीच इसी बीच शनिवार को तीन निर्दलीय विधायकों की एसोसिएट सदस्यता रद्द कर दी गई है।
शुक्रवार देर रात से ही उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और राजस्थान सरकार के करीब 10 मंत्री दिल्ली में हैं। शनिवार देर शाम सचिन पायलट की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात हुई थी। दिल्ली में सचिन पायलट किसी से बात नहीं कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट दिल्ली में तो हैं, लेकिन वह अपने घर पर नहीं हैं।
शनिवार देर शाम खबर आई थी कि पीआर मीणा, राजेंद्र बिधूड़ी, दानिश अबरार, चेतन डूडी सहित करीब 17 कांग्रेस विधायकों को हरियाणा के मेवात स्थित आईटीसी भारत होटल में बाड़ेबंदी की गई, लेकिन यह खबर अब अफवाह साबित हो रही है। कांग्रेस नेता अविनाश पांडेय ने कहा है कि यह खबर सरासर गलत है।
इन सारे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच लोग जानना चाहते हैं कि आखिर राजस्थान कांग्रेस में किस बात की लड़ाई है। पार्टी के अंदर किस वजह से खींचतान चल रही है। क्या सचिन पायलट मध्य प्रदेश के ज्योतरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी में चले जाएंगे और राजस्थान में भी बीजेपी की सरकार बन जाएगी। इन तमाम सवालों का जवाब विस्तार समझने की कोशिश करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बने रहने के लिए माहौल बना रहे हैं सचिन पायलट?
सचिन पायलट करीब साढ़े छह साल से राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि यह पद पायलट के पास ही बनी रहे। जबकि मांग चल रही है कि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण कोटे से रघु शर्मा, महेश जोशी और जाटों से लालचंद कटारिया, ज्योति मिर्धा का नाम आगे किया जा रहा है। इसके अलावा रघुवीर मीणा का भी नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। इसपर आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को लेना है।
सूत्रों का कहना है कि बिहार में प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान होने के दौरान ही कांग्रेस राजस्थान में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। हालांकि इसपर अभी तक कोई आधाकारिक पुष्टि नहीं है। सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट किसी भी सूरत में इस पद पर आगे भी बने रहना चाहते हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक हालात में सचिन पायलट राज्य में पार्टी की कमान अपने पास ही रखना चाहते हैं। वह इसमें कोई ढील नहीं चाहते हैं।
क्या सिंधिया बनेंगे पायलट?
मध्य प्रदेश और राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात काफी अलग हैं। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि उन्हें कोई अधिकार नहीं दिए गए थे। उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत ने कमलनाथ वाली गलती नहीं की है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखे हुए थे। वहीं गहलोत ने सचिन पायलट को अपनी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का ओहदा दे रखा है। साथा ही पायलट प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं।
सीटों के समीकरण में बीजेपी काफी पीछे
मध्य प्रदेश में सीटों को लेकर बीजेपी कांग्रेस के बीच गैप काफी कम था, जिसे पाटना संभव था, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। इस वक्त राजस्थान में बीजेपी के 72 विधायक हैं, आरएलपी के 3 विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं। इस तरह इस खेमे में 75 विधायक हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के खुद के 107 विधायक हैं और निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के समर्थन से उसके पास 120 का नंबर है। विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 है यानी बहुमत के लिए 101 सीट ही काफी है। कांग्रेस के पास खुद ही सामान्य बहुमत से ज्यादा सीटें हैं। बीजेपी और कांग्रेस खेमे की तुलना करें तो उनमें 45 विधायकों का अंतर है। 45 विधायकों का फासला पाटना लगभग नामुमकिन सा है।
राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही BJP: अशोक गहलोतराजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। गहलोत ने जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें कोरोना वायरस से लड़ने पर ध्यान देना चाहिए और यही हम कर रहे हैं, लेकिन वे (BJP) सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि वाजपेयी जी के समय में ऐसा नहीं था, लेकिन 2014 के बाद धर्म के आधार पर कई काम हो रहे हैं।
अगर मध्य प्रदेश की तरह इतनी बड़ी संख्या में विधायक कांग्रेस से बीजेपी में चले भी जाते हैं तो उनकी सदस्यता जाने का खतरा होगा। साथ ही अगर इन सीटों पर उपचुनाव भी होते हैं तो इतनी बड़ी संख्या में दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं को बीजेपी टिकट कैसे देगी ये भी बड़ा सवाल है। इसके अलावा बड़ा सवाल यह भी है कि क्या सचिन पायलट को बीजेपी का राजस्थान पार्टी नेतृत्व स्वीकार पाएगा। क्योंकि राजस्थान बीजेपी में मुख्यमंत्री के पद को लेकर कोई वैकेंसी फिलहाल खाली तो नहीं दिखती है। मौजूदा राजनीतिक हालात में अगर सचिन पायलट बीजेपी में जाने की सोचेंगे तो बिना सीएम पद के वो तैयार हो जाएं इसकी संभावना कम ही लगती है।
ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस के नाराज विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपने हित में फैसले के लिए दबाव बना सकते हैं। साथ ही गहलोत सरकार में अपने जो भी काम हैं उसे करवा सकते हैं, लेकिन पार्टी से अलग होने की बात फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।