नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार (27 मई) को होने वाली नीति आयोग की मीटिंग (बैठक) का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ बहिष्कार करने का फैसला लिया है।

सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें कहा कि अगर प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए कहां जाएं? प्रधानमंत्री गैर बीजेपी सरकारों के काम करने दें। साथ ही कहा कि जब सहकारी संघवाद एक मजाक है तो नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का क्या मतलब है?

उन्होंने चिट्ठी में लिखा-

पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा है। ये ना ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और ना ही सहकारी संघवाद।

8 साल की लड़ाई के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली वालों को न्याय मिला। मात्र 8 दिन में ही आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया।

तो आज अगर दिल्ली सरकार का कोई अधिकारी काम ना करें तो लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार उस बारे में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। ऐसे सरकार कैसे काम करेगी? यह तो सरकार को बिल्कुल पंगु बनाया जा रहा है। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं? क्या यही भारत देश का विजन है, क्या यही सहकारी संघवाद है?

आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में जबरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे हैं, अगर प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जाएंगे?

जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए लोगों को का कहना है कि हमें कल होने वाली नीति आयोग की मीटिंग में नहीं जाना चाहिए। इसलिए कल की मीटिंग में मेरा शामिल होना संभव नहीं होगा।