Karnataka-Maharashtra सीमा विवाद: CM शिंदे का प्रस्ताव सदन में पास

Karnataka-Maharashtra सीमा विवाद: CM शिंदे का प्रस्ताव सदन में पास

New Delhi : महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रस्ताव पेश किया है. ये प्रस्ताव कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर है. जिसमें मराठी भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने की बात कही गई है. सदन में अपनी बाद रखते हुए शिंदे ने कहा कि हम कर्नाटक के मराठी भाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए पूरी जोर लगा रहे हैं. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने अपना पक्ष भी रखा है. साथ ही हमने राज्य के मराठी भाषी लोगों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से भी अपील की है.

कर्नाटक के 865 गांव होंगे महाराष्ट्र में शामिल!

एकनाथ शिंद ने कहा कि केंद्र सरकार को अब कर्नाटक की राज्य सरकार को इस बात का निर्देश देना चाहिए कि मराठी भाषी लोग पूरी तरह से सुरक्षित रहें. उन्होंने कहा कि हम बडगाम, बीदर जैसे 5 शहरों और 865 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने में सफल हो जाएंगे. राज्य के उप मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रस्ताव के बारे में पहले ही जानकारी दी थी. देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि ये प्रस्ताव राज्य की विधानसभा में बहुमत से पारित हो जाएगा. उनकी उम्मीद के मुताबिक ही पस्ताव सदन में पास हो गया.

क्या है विवाद?

महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ही राज्य दोनों ही राज्यों की सीमा बढ़ाना चाहते हैं. कर्नाटक चाहता है कि महाराष्ट्र के कन्नड भाषी इलाके कर्नाटक में शामिल हो जाएं, तो महाराष्ट्र की चाहत है कि कर्नाटक के सीमाई मराठी भाषी इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल कर लिया जाए. इस मुद्दे पर दोनों राज्यों में लंबा विवाद रहा है. जिस पर कमेटी का भी गठन किया गया है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है. परेशानी की बात सिर्फ उन इलाकों को शामिल करने की मांग नहीं है, बल्कि परेशानी की बात ये है कि कोई भी राज्य अपने राज्य के उन हिस्सों को नहीं छोड़ना चाहता, जो दूसरे राज्य की भाषा बोलते हैं. मतलब, कि कर्नाटक कन्नड भाषी महाराष्ट्र के इलाकों को लेना तो चाहता है, लेकिन कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों को देना नहीं चाहता. कुछ ऐसी ही समस्या महाराष्ट्र के साथ है.

हमारी सरकार से पहले का सीमा विवाद

देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि ये विवाद पहले का है. हमारी सरकार में शुरू किया गया नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस उद्धव ठाकरे ने इस विवाद पर अब बयान दिया है, वो पिछले ढाई सालों से सत्ता में थे. उन्होंने इस मुद्दे को हल करने का कोई प्रयास नहीं किया था.

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