Kanpur Violence : कानपुर में उपद्रव पीछे पीएफआइ कनेक्शन की भी आशंका, मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी अभी भी फरार

- Kanpur Violence PFI Connection Is Suspected कानपुर में उपद्रव के मामले में तीन तीन एफआईआर की गई है। 35 से अधिक को गिरफ्तार किया गया है जबकि मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी अभी भी फरार है। हयात के कनेक्शन पीएफआइ से भी जुड़े होने की जानकारी मिली है।
लखनऊ। कानपुर में शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में उपद्रव के मामले में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया का भी कनेक्शन होने की आशंका है। देश में कई दंगों के साथ उपद्रव के मामलों में इस संगठन की भी साजिश रहती है, इसी कारण कानपुर के बवाल में इसकी साजिश का शक जताया जा रहा है। कानपुर में अब हालात नियंत्रण में हैं। कई बटालियन पीएसी के साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स की टीमों ने रात में ही दंगाई पर नियंत्रण पा लिया।
कानपुर के पुलिस कमिश्नर वीएस मीणा ने गृह विभाग तथा पुलिस के आला अधिकारियों को जो इनपुट दिया है, उसमें अचानक हुए उपद्रव में पीएफआइ के कनेक्शन की भी आशंका जताई है। अब पीएफआइ के कनेक्शन की भी जांच प्रारंभ हो गई है। कानपुर के नई सड़क क्षेत्र में शुक्रवार को उपद्रव के मामले में 40 लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया गया है जबकि हजार अज्ञात पर भी नजर है। पुलिस रात भर दबिश देकर अब तक 35 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। यहां पर सुरक्षा व्यवस्था संभालने पीएसी की कई कंपनियां कानपुर में आ चुकी हैं। कानपुर पुलिस कमिश्नर ने कहा कि कानपुर में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई या किसी अन्य संगठन की साजिश को भी खंगाला जा रहा है। पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने कहा कि प्रशासन से बातचीत के बाद कानपुर बंद का ऐलान करने वाले संगठन ने कॉल वापस ले ली थी, लेकिन हिंसा अचानक भड़की। कानपुर में एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी सहित कुछ स्थानीय नेताओं ने बंद बुलाया था। हयात जफर हाशमी अभी भी फरार है। कानपुर में उपद्रव के मामले में तीन तीन एफआईआर की गई है। 35 से अधिक को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी अभी भी फरार है। हयात के कनेक्शन पीएफआइ से भी जुड़े होने की जानकारी मिली है। सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी कैसर हसन मजीदी ने कहा कि शुक्रवार को जो बवाल हुआ उसका कहीं न कहीं पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) कनेक्शन है। पीएफआइ के स्थानीय सक्रिय सदस्यों की मदद से इस बवाल को बढ़ाने का काम किया गया है। मामले में सरकार से वह उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
पहले भी माहौल को खराब कर चुका है हयात जफर हाशमी : मौलाना मोहम्मद अली (एमएमए) जौहर फैंस एसोसिएशन का अध्यक्ष हयात जफर हाशमी पहले भी माहौल को खराब करने का काम कर चुका है। कई बाद उसने शहर में उपद्रव कराया है। मकान खाली कराने को लेकर अपनी मां और बहन को उकसा कर जिलाधिकारी कार्यालय भेजा था। जहां दोनों ने मिट्टी का तेल डालकर बेटे के कहने पर आग लगा ली थी। दोनों को गंभीर हालत में एलएलआर अस्पताल लाया गया था। उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई थी। शुक्रवार को जो बवाल हुआ उसका मास्टर माइंड भी हयात जफर हाशमी बताया जा रहा है। राशन कोटे की दुकान चलाने वाला हयात जफर हाशमी इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहता है। एनआरसी और सीएए बवाल के दौरान भी इसकी सक्रिय भूमिका रही थी। 21 अक्टूबर को हयात जफर हाशमी ने मूलगंज से मेस्टन रोड, शिवाला बाजार, रामनारायण बाजार होते हुए फूलबाग तक जुलूस ए मोहम्मदी निकाला था। उसमें उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
कानपुर में शुक्रवार को सुनियोजित साजिश के तहत नई सड़क पर परेड चौराहा से पहले चंद्रेश्वर हाता तक उपद्रवियों ने कई बार बवाल किया। इस दौरान कई वाहन तोड़ने के साथ पथराव तथा फायरिंग भी की गई। इसमें दारोगा समेत सात लोग घायल हैं। परेड चौराहा पर सद्भावना पुलिस चौकी से मूलगंज चौराहे की ओर जाने वाली नई सड़क पर जुमे की नमाज के बाद जबरन दुकानें व बाजार बंद करा रहे लोगों का दूसरे पक्ष ने विरोध किया तो तोडफ़ोड़, बमबाजी, फायरिंग व पथराव किया गया। उपद्रवियों ने आधा दर्जन से ज्यादा वाहन तोड़ डाले। दारोगा कैलाश दुबे समेत सात लोगों को चोटें आई हैं। पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना के नेतृत्व में फोर्स ने लाठी पटककर उपद्रवियों को खदेड़ा। करीब चार घंटे तक पुलिस और उपद्रवियों के बीच गुरिल्ला युद्ध जैसे हालात रहे। गलियों व छतों से पथराव होता रहा। इस मामले में पुलिस की ओर से दो और एक घायल की ओर से एक मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें हत्या का प्रयास, पुलिस पर हमला, सरकारी कार्य में बाधा, बलवा और सेवन क्रिमिनल ला संशोधन एक्ट समेत कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि बेकनगंज थानाक्षेत्र के नई सड़क में कुछ लोगों ने दुकानें बंद कराने का प्रयास किया, जिसका दूसरे पक्ष ने विरोध किया। जरूरी बल प्रयोग कर माहौल शांत कराया गया। अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने के साथ ही आइपीएस अधिकारी अजय पाल शर्मा को यहां भेजा गया है। आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर संपत्ति भी जब्त की जाएगी।
क्या है पीएफआइ
पीएफआइ यानी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया का अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने की मामला हो या फिर दो वर्ष पहले सीएए और एनआरसी को लेकर माहौल खराब करने का प्रकरण हो या फिर दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में दंगा कराने की साजिश। पीएफआइ ही इन सभी के लिए जिम्मेदार ठहराई जाती रही है। पापुलर फ्र ंट ऑफ इंडिया या पीएफआई एक इस्लामिक संगठन है। यह संगठन अपने को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताता है। संगठन की स्थापना 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में हुई। संगठन की जड़े केरल के कालीकट में गहरी हैं। इनका नाम देश में शांति भंग करने के मामले में जरूर आ जाता है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा से पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में भी इसी का नाम सामने आया था। कहा जा रहा है कि पीएफआइ ऐसे मौके पर मोटी रकम खर्च करके माहौल खराब करती है। एक मुस्लिम संगठन होने के कारण इस संगठन की ज्यादातर गतिविधियां मुस्लिमों के इर्द गिर्द ही घूमती हैं।