कानपुर मड़ौली अग्निकांड: बिठूर में होगा मां-बेटी का अंतिम संस्कार, कब्जा हटवाते समय जिंदा जली थीं दोनों

कानपुर मड़ौली अग्निकांड: बिठूर में होगा मां-बेटी का अंतिम संस्कार, कब्जा हटवाते समय जिंदा जली थीं दोनों
  • लापरवाही के चलते जिंदा जलकर मरी मां-बेटी का अंतिम संस्कार बिठूर में करने की तैयारी की जा रही है। सोमवार को दोनों की मौत प्रशासनिक टीम द्वारा कब्जा हटवाते समय आग लगने के चलते हुई थी।

कानपुर देहात। कानपुर जिले में रूरा के मड़ौली गांव में कब्जा हटवाते समय आग लगने से जिंदा जलकर मौत के आगोश में आई मां बेटी के शव का अंतिम संस्कार बिठूर कानपुर में किया जाएगा। पहले घटनास्थल की जमीन पर ही मां-बेटी का अंतिम संस्कार करने की तैयारी थी। लेकिन, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने बातचीत कर स्वजन को मना लिया है। अंतिम संस्कार के लिए शवों को रवाना कर दिया गया है। मौके पर आइजी व एसपी स्वजन के साथ ही मौजूद हैं।

एसपी व सीओ ने दिया कंधा

शव वाहन का चालक गलती से आगे बढ़ गया और पीड़ित शिवम के मामा पीछे पहुंचे थे। इस पर शिवम चालक पर भड़क गया। नोकझोंक होने पर पुलिस ने दोनों को शांत कराया। अंतिम संस्कार के लिए कमिश्नर व आइजी भी स्वजन के साथ बिठूर के लिए रवाना हुए हैं। शव को एसपी व सीओ ने भी कंधा दिया।

यह था मामला

कानपुर जिले में रूरा के मड़ौली गांव में सोमवार शाम चार बजे हृदय विदारक घटना हुई। एसडीएम और पुलिस सरकारी जमीन से कब्जा हटवाने पहुंची तो कब्जेदार कृष्णगोपाल दीक्षित ने मोहलत मांगी। समय सीमा खत्म होने की बात कहकर बुलडोजर (बैकहो लोडर) से कब्जा हटाना शुरू किया गया तो कृष्णगोपाल की पत्नी 50 वर्षीय प्रमिला और उनकी बेटी 19 साल की नेहा झोपड़ी में चली गईं। कुछ देर में अंदर आग लग गई और मां-बेटी जिंदा जल गईं।

छप्पर गिराने व जनरेटर की टंकी फटने से भीषण हुई आग

मां-बेटी जिंदा जल गईं, लेकिन उन्हें बचाया जा सकता था। अगर बुलडोजर सही से छप्पर हटाता और महिला पुलिसकर्मियों ने तत्परता दिखाई होती। झोपड़ी में आग लगने के बाद जब आग छप्पर में लगी पालीथिन से टपक रही थी तो महिला पुलिसकर्मियो ने अंदर घुसकर निकालने की हिम्मत नहीं दिखाई। आग बढ़ी तो बचाव में बुलडोजर छप्पर हटाने चला, लेकिन गलती से वहीं छप्पर गिर गया। इससे अंदर रखे जनरेटर की टंकी फट गई और डीजल फैलने से आग ने विकराल रूप ले लिया, जिसकी चपेट में आकर मां-बेटी की जान चली गई।

घटना के बाद हर किसी के जेहन में यह प्रश्न है कि क्या मां-बेटी को बचाया जा सकता था। जब आग लगी तो झोपड़ी का दरवाजा बंद था। अंदर से मां बेटी के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। इस दौरान महिला पुलिसकर्मी मोबाइल पर व्यस्त थीं।

आग लगने के बाद तीन महिला पुलिसकर्मी व एक महिला एसआई वहां पहुंची, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आया और दरवाजा खोलने में समय लगा। दरवाजा खुलने के बाद भी ऊपर छप्पर में आग लगी थी व उसमें लगी पॉलीथिन टपक कर नीचे गिर रही थी, उस समय मां बेटी आग की चपेट में नहीं थी।