Kalu Baba Jayanti – कालू बाबा जयंती
कालू बाबा की जयंती कब मनाई जाती है – Kalu Baba Ki Jayanti Kab Manai Jati Hai
श्री हरि कालू जी महाराज की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दूज को जन्मोत्सव मनाया जाता है। इनकी संतानें कश्यप एवं इसकी सभी उप जातियाँ जिनको अलग अलग क्षेत्रो में केवट, मलाह, कहार, कीर, मेहरा, झिंवर, मांझी, भोई, निषाद, रायकंवार, बिंद, साहनी, चन्द्रवँशी, सागरवंशी, धींवर, आर्यन इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है ये सभी मुम्बा माता जो लक्ष्मी एवं श्री हरि कालू जी महाराज विष्णु के अवतार है को अपना कुल देवी देवता मानते है।
श्री कालू बाबा की प्रचलित कथा
।। श्री गणेशाय नमः ।।
श्री हरि कालू जी महाराज की कथा – Story of Shri Kalu Baba Ji Maharanj
ब्रह्मा जी के पुत्र देव ऋषि नारद तीनो लोकों में विचरण कर घटनाओं एवं सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे,वे बिना किसी अनुमति के कहीं भी आ जा सकते थे,इसका उनको बड़ा घमंड था ।
देव ऋषि नारद जब देवताओं की सभा पूर्ण होने पर उठ कर चले जाते थे तो उनके बैठने के स्थान को पंचगव्य से पवित्र किया जाता था,नारद को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने देवताओं से इसका कारण पूछने पर देवताओं ने बताया कि आप बिना गुरु के नुगरे हैं तथा देव लोक में कोई भी व्यक्ति सशरीर नहीं आ सकता किन्तु ब्रह्मा जी के पुत्र होने के कारण आप यहाँ आ जाते है इस कारण देव दरबार अपवित्र हो जाता है ।
देवताओं के इस कथन से लज्जित हो नारद गुरु की तलाश में सभी लोको में भटकते रहे मगर उनको अपने से श्रेष्ठ कोई व्यक्ति नजर नहीं आया जिसे गुरु माना जा सके, जब सब जगह भटक चुके तो सृष्टि के रचयिता भगवान श्री विष्णु एवं माँ लक्ष्मी के पास पहुँच कर अपनी व्यथा व्यक्त की, श्री विष्णु भगवान ने नारद को कहा कि मृत्यु लोक पृथ्वी पर ब्रह्म मुहर्त में नगर के द्वार पर जो भी व्यक्ति मिले उसे गुरु बना लें । प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त कर वे गुरु की तलाश में निकल पड़े, अभी कुछ क़दम चले ही थे की उनके सामने नगर द्वार पर एक मछुआरा आता हुआ नजर आया, नारद ने इसे अशुभ मान अपना रास्ता बदल लिया,वे नगर के दूसरे द्वार की और बढ़ ही रहे थे की फिर वही मछुआरा सामने से आता हुआ नजर आया, इस बार नारद ने उनको अनदेखा कर श्रीमन नारायण नारायण का जाप करते हुए नगर के तीसरे द्वार की और प्रस्थान किया, अभी नारद आगे बढ़े ही थे की इस बार भी वही मछुआरा जिसको लोग श्री हरि कालू के नाम से जानते थे सामने मिल गए, नारद ने इसे विधि का विधान मानते हुए उस मछुआरे को अपना गुरु बना लिया,गुरु ने आशीर्वाद में अपने कंधे पर रखे मछली पकड़ने के जाल का एक धागा काट कर देते हुए कहा कि इसकी हमेशा के लिए जनेऊ धारण करें ।
गुरु बना लेने के पश्चात नारद मुनि पुनः देव सभा में पहुँचे, देवताओं ने गुरु के बारे में पूछा तो वे बोले की मैंने गुरु तो बना लिया है पण(लेकिन) वह एक मछुआरा है, इतना सुनते ही देवताओं ने नारद को अभिशाप देते हुए कहा कि तुमने गुरु का अपमान किया है अतः जब तक चौरासी लाख जुणो (योनियों)का जीवन नहीं भुगतोगे तब तक देव सभा में आपका सशरीर प्रवेश वर्जित है । चौरासी लाख योनियों (लक्ख चौरासी) का जीवन काटने में करोड़ो वर्ष लगते है इतना सोच नारद चिंतित होगये ।
अतः अभिशाप की मुक्ति के लिए नारद जगह जगह भटकते रहे परन्तु कोई उपाय नहीं सूझा तो वे अंत में श्री विष्णु के पास पहुंचे, भगवान ने नारद को गुरु की शरण में जाकर उपाय ढूंढने का आदेश दिया,प्रभु का आदेश मिलते ही नारद श्री हरि कालू जी महाराज के पास पहुंचे, गुरु से समाधान की युक्ति प्राप्त कर वे सीधे श्री ब्रह्मा के पास पुहंचे तथा आग्रह किया के हे प्रभु मुझे देवताओं ने अभिशाप दिया है और मुझे सभी जुणो( जीव योनि)की जानकारी नहीं है अतः आप मुझे इनके नाम बताने की कृपा करें, श्री ब्रह्मा जी नाम बताते जाते और नारद जमीन पर लिखते जाते, जब सभी जीव जंतु, पक्षी पखेरू आदि जुणो की संख्या पूरी हो गयी तो,नारद लिखे गए नामो पर लोट प्लोट खाने लगे ऐसा देख श्री ब्रह्मा जी ने पूछा की ये क्या कर रहे हो, नारद बोले हे प्रभु मैं चौरासी लाख जुणो (लक्ख चौरासी) को भुगत रहा हूँ ओर इस जीवन चक्र से मुक्त होने का प्रयास कर रहा हूँ , देवताओं के अभिशाप से मुक्त होना चाह रहा हूँ , नारद एवम ब्रह्मा जे के इस संवाद के समय ही श्री हरि कालू जी महाराज ने भगवान विष्णु का रूप धारण कर नारद को अभिशाप से मुक्त कर दिया ।
श्री हरि कालू जी महाराज की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दूज को जन्मोत्सव (Kalu Baba Jayanti) मनाया जाता है। इनकी संतानें कश्यप एवं इसकी सभी उप जातियाँ जिनको अलग अलग क्षेत्रो में केवट, मलाह, कहार, कीर, मेहरा, झिंवर, मांझी, भोई, निषाद, रायकंवार, बिंद, साहनी, चन्द्रवँशी, सागरवंशी, धींवर,आर्यन इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है ये सभी मुम्बा माता जो लक्ष्मी एवं श्री हरि कालू जी महाराज विष्णु के अवतार है को अपना कुल देवी देवता मानते है।
मुंबई नगर का नाम भी मुम्बा माता के नाम से ही पड़ा है
ऐसी मान्यता है कि श्री हरि कालू जी महाराज को मानने वालों पर कभी भी आकाशीय बिजली नही गिरती वहीं जल कृषि कार्य,मत्स्य आखेट,नोकायन, जहाज इत्यादि के लिए पानी में उतरने से पहले श्री हरि कालू जी महाराज एवं मुम्बा माता की प्रार्थना की जाती है जिसके फलस्वरूप वे सुरक्षित वापस लौटते हैं और प्राकृतिक आपदाओं से बचते हैं।
श्री हरि कालू जी महाराज के दरबार में बच्चों के जन्म पर जड़ूला एवं नव विवाहित दम्पति गठ जोड़े की जात देकर सुखी जीवन का आशिर्वाद लिया जाता है, फसल का पहला अंश इनको भोग के लिए अर्पण किया जाता है । हर भक्त अपनी सामर्थ्य अनुसार भगवान श्री हरि कालू जी महाराज के चरणों में अपनी आमदनी का कुछ भाग अर्पित करता है ।।
ॐ श्री गुरुवे नमः ।
ॐ श्री विष्णु लक्ष्मी नमः ।।
गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागूं पाय ।
बलिहारी गुरु आपने मोक्ष दियो दिलवाय।।
राजस्थान के झुंझुनूं जिले में श्रीहरि कालू जी महाराज मंदिर का शिलान्यास वर्ष 2010 में तथा श्री मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा 17 मई 2017 को की गई । कोरोना काल खंड में इस मंदिर प्रांगण में श्री शनिदेव की स्थापना भी की गई है तथा नवग्रह मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में है। यहां सर्व समाज के भक्त गण दर्शन लाभ कर इच्छित फल प्राप्त कर रहे है।
बैंडबाजों के साथ निकाली कालू बाबा जयंती की शोभायात्रा
- सहारनपुर में तीतरो में निकाली गई बाबा कालू जयंती शोभायात्रा में सजाई गई झांकी।
तीतरो। कश्यप समाज के तत्वावधान में कालू बाबा जयंती (Kalu Baba Jayanti) के उपलक्ष में बैंडबाजों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। कस्बा तीतरो के मैन बाजार से शुरू हुई कालू बाबा जयंती की शोभायात्रा पुराना बस स्टैंड, होली चौक, कर्णताल व अनेक मार्गों से होती हुई पुन: मैन बाजार पहुंचकर सम्पन्न हुई।
शोभायात्रा में कालू बाबा की झांकी आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। जबकि युवक धार्मिक धुनों पर नृत्य करते चल रहे थे। कस्बे के युवा समाजसेवी अबुजर खान व चमन खान ने हिंदू मुस्लिम एकता का परिचय देते हुए शोभायात्रा का स्वागत कर प्रसाद वितरित किया। इससे पूर्व महर्षि कश्यप व कालू बाबा की मूर्ति पर संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कश्यप समाज के लोगों ने कर्णताल पर महर्षि कश्यप व कालू बाबा मंदिर निर्माण का संकल्प लिया।
इस दौरान प्रीतम सिंह, श्रलपाल मुनीम, श्याम सिंह, राजू कश्यप, सचिन कश्यप, सुधीर कश्यप, प्रणाम, मोहर सिंह कश्यप, मदन कश्यप, पहलू, रामपाल सिंह, मुनि कश्यप, रामसिंह, गौरव, मंजीत, राजेंद्र कश्यप आदि मौजूद रहे।