Kaal Bhairav Jayanti 2020 Date: कब है काल भैरव जयंती, जानें कैसा हुआ था इनका अवतरण

Kaal Bhairav Jayanti 2020 Date: कब है काल भैरव जयंती, जानें कैसा हुआ था इनका अवतरण

Kaal Bhairav Jayanti 2020 Date: हर वर्ष मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 7 दिसंबर, सोमवार के पड़ रही है। काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि काशी में रहने वाले हर व्यक्ति को यहां पर रहने के लिए बाबा काल भैरव की आज्ञा लेनी पड़ती है। मान्यता है कि भगवान शिव ने ही इनकी नियुक्ति यहां की थी। आइए जानते हैं भैरव जी के अवतरण की कथा-

जानें कैसे हुआ काल भैरव जी का अवतरण:

शिवपुराण के अनुसार, एक बार सबसे ज्यादा कौन श्रेष्ठ है इसे लेकर ब्रह्मा जी, विष्णु जी और भगवान शिव के बीच विवाद पैदा हो गया। इसी बीच ब्रह्माजी ने भोलेनाथ की निंदा की। इसके चलते शिव जी बेहद क्रोधित हो गए। शिव शंकर के रौद्र रूप से ही काल भैरव का जन्म हुआ था। काल भैरव ने अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए अपने नाखून से ब्रह्माजी के पांचवे सिर को काट दिया। क्योंकि इस सिर ने शिव जी की निंदा की थी। इसके चलते ही काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था।

ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए गए थे काशी:

ब्रह्माजी का कटा हुआ शीष काल भैरव के हाथ में चिपक गया था। ऐसे में काल भैरव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति दिलाने के लिए शिव शंकर ने उन्हें प्रायश्चित करने के लिए कहा। शिव जी ने बताया कि वो त्रिलोक में भ्रमण करें और जब ब्रह्रमा जी का कटा हुआ सिर हाथ से गिर जाएगा उसी समय से उनके ऊपर से ब्रह्म हत्या का पाप हट जाएगा। फिर जब वो काशी पहुंचे तब उनके हाथ से ब्रह्मा जी का सिर छूट गया। इसके बाद काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए और शहर के कोतवाल कहलाए।

ऐसा कहा जाता है कि काशी के राजा भगवान विश्वनाथ हैं। वहीं, नगरी के कोतवाल काल भैरव हैं। बिना काल भैरव के दर्शन के बाबा विश्वनाथ का दर्शन अधूरा माना जाता है।


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