INDIA पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का तंज- इनकी मोहब्बत की नहीं, भ्रष्टाचार-झूठ की दुकान है

INDIA पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का तंज- इनकी मोहब्बत की नहीं, भ्रष्टाचार-झूठ की दुकान है

संसद में विपक्ष की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ विश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इसे लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष पर हमला बोला है.

नई दिल्ली:  संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर लगातार तीन दिन से चर्चा चल रही है. इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के सांसद पार्लियामेंट में बोल रहे हैं. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से पहले केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर I.N.D.I.A गठबंधन पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि  इनकी (कांग्रेस) मोहब्बत की नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, झूठ, तुष्टिकरण, अहंकार की दुकान है.

केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि मुझे इस संसद में 20 साल हो गए हैं, लेकिन ऐसा दृश्य मैंने 2 दशक में नहीं देखा है. विपक्ष के द्वारा प्रधानमंत्री के प्रति जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, इसके लिए उन्हें देश की जनता के सामने माफी मांगनी चाहिए. अविश्वास प्रस्ताव पर सिंधिया के स्पीच के बीच विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट किया. इस पर उन्होंने कहा कि देश की जनता ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है, अब वे लोकसभा से भी बाहर जा रहे हैं.

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने कहा कि राहुल गांधी ने कल कहा था कि प्रधानमंत्री मणिपुर को भारत का हिस्सा नहीं मानते. मैं बताना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व को विश्व के साथ जोड़ने का काम किया है. भारत को अलग-अलग टुकड़ों में देखने की विचारधारा आपकी है, हमारी नहीं. उन्होंने आगे कहा कि इनको आज राम की याद आई, कोई जनेऊधारी है कोई मंदिर के दर्शन कर रहा, यह मुखौटा नहीं चलेगा.

उन्होंने आगे कहा कि वे (कांग्रेस) कहते हैं नफरत की दुकान में मोहब्बत की दुकान लाएंगे. इनकी दुकान भ्रष्टाचार, झूठ, तुष्टिकरण, अहंकार की दुकान है. यह केवल दुकान का नाम बदलते हैं, लेकिन सामान वही रहता है.

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने आगे कहा कि मणिपुर की घटना का दुरुपयोग कर अपना लॉन्चपैड बनाने की तैयारी कर रहे हैं. जो भी मणिपुर में हो रहा है वह निंदनीय है… उत्तर-पूर्व की सारी सामस्याएं कांग्रेस की तुष्टिकरण की वजह से शुरू हुई हैं. उत्तर-पूर्व में विदेशियों को अंदर (भारत में) लेकर उनको अपने फायदे के लिए नागरिकता और शरण देने का काम हुआ.