चुनाव से ठीक पहले जांच आयोग का बड़ा खुलासा- CM नीतीश की हत्या की साजिश के तहत हुआ था हमला

चुनाव से ठीक पहले जांच आयोग का बड़ा खुलासा- CM नीतीश की हत्या की साजिश के तहत हुआ था हमला

बक्सरः 18 अप्रैल 2018 को घटी एक खौफनाक घटना को बिहार के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा जाएगा। जी हां इसी दिन बक्सर के नंदन गांव में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लोगों ने बोल दिया था जानलेवा हमला।

नीतीश कुमार गांव में विकास कार्यों का जमीनी लेभल पर जायजा लेने गए थे। जिला प्रशासन और खुफिया विभाग तक को इस बात का इल्म नहीं था कि गांव में कुछ लोग कितना खतरनाक मंसूबा पाले हुए हैं लेकिन जब ईंट और पत्थर की बारिश शुरू हो गई तो अधिकारियों के कान खड़े हो गए। सड़क के दोनों किनारे से लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिल पर ईंट और पत्थर से हमला करने लगे। इस हमले में कई लोग घायल हो गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ी के ऊपर भी पत्थरों की भारी बरसात की गई थी। इस पत्थरबाजी में मुख्यमंत्री को प्रोटेक्शन दे रहे कई गार्ड घायल हो गए थे। बड़ी मुश्किल से पुलिस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस हमले में रक्षा की थी। इस घटना के दौरान चारों तरफ अफरा तफरी और भगदड़ का माहौल था। अधिकारी किसी तरह से सीएम नीतीश कुमार के काफिले को सुरक्षित निकालने में लगे थे।

वहीं सरपट दौड़ती हुई गाड़ियों पर भी लोग पत्थरों की बरसात कर रहे थे। घातक हमले के इन तस्वीरों को भूलना नामुमकिन है। 18 अप्रैल 2018 को हुए इस बर्बर और घातक हमले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया गया था। इस जांच आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने अब एक बड़ा खुलासा किया है, वर्तमान में विकल राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। विकल ने कहा कि उन्होंने बीस पन्ने की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि ये हमला राजनीतिक विरोधियों ने नीतीश कुमार की जान लेने के मकसद से अंजाम दिया था। विकल ने बताया कि उन्होंने इस हमले के हर एक बिंदू का बारीकी से अध्ययन कर उसकी रिपोर्ट तैयार की है।

विधानसभा चुनाव से ऐन पहले विद्यानंद विकल के इस खुलासे से सियासी पारा चढ़ गया है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी का भी विरोध किया जा सकता है। जनता को नेताओं से असहमत होने का अधिकार है लेकिन हिंसा के जरिए अपना विरोध प्रकट करने का अधिकार लोकतंत्र में किसी के पास नहीं होता है।