झारखंड चुनाव परिणाम 2019: भाजपा की करारी हार, राज्य में अब सोरेन सरकार, 27 को शपथग्रहण

झारखंड चुनाव परिणाम 2019: भाजपा की करारी हार, राज्य में अब सोरेन सरकार, 27 को शपथग्रहण

खास बातें

  • सीएम रघुबर दास समेत पांच मंत्री हारे
  • महागठबंधन को 47, भाजपा को 25 सीटों पर जीत
  • एक साल में पांचवां राज्य जहां भाजपा ने सत्ता गंवाई
  • 19 में पांचवीं बार सोरेन परिवार को मिलने जा रही है सत्ता

महाराष्ट्र में सत्ता से बाहर होने के बाद अब झारखंड भी भाजपा के हाथ से फिसल गया। एक साल में राममंदिर और नागरिकता संशोधन कानून जैसे बड़े फैसले आने के बाद भाजपा ने पांच राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और अब झारखंड) में सत्ता गंवा दी। झारखंड विधानसभा चुनाव पूर्व किए गए झामुमो, कांग्रेस और राजद के महागठबंधन ने चुनावी नतीजों में बड़ी जीत हासिल की है।

81 सदस्यीय विधानसभा में जहां महागठबंधन ने बहुमत से ज्यादा 47 सीटें जीतीं तो वहीं सत्तारूढ़ भाजपा को सिर्फ 25 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हेमंत सोरेन अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ 27 दिसंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में शपथ ग्रहण करेंगे।

चुनावों में भाजपा का मिशन 65 यानी 65 सीटें जीतने का दावा ध्वस्त हो गया। इसी के साथ यह रिकॉर्ड कायम रहा कि झारखंड राज्य के गठन के 19 साल में कोई भी सत्तारूढ़ पार्टी वापसी नहीं कर सकी है। चुनाव में मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत भाजपा के 5 मंत्री हार गए। चुनाव पूर्व सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) पार्टी को भी 3 सीटें ही मिलीं।

रघुवर दास भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
इस बीच महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हेमंत सोरेन पिता शिबू सोरेन से मिलने पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। 15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर नया राज्य बनने के बाद झारखंड में 19 साल में पांचवीं बार सोरेन परिवार को सत्ता मिलने जा रही है। हेमंत के पिता तीन बार राज्य के सीएम रहे तो वहीं, हेमंत दूसरी बार सीएम पद संभालेंगे।

पिता के समर्पण और परिश्रम का नतीजा: हेमंत सोरेन
महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार हेमंत सोरेन ने कहा कि यह परिणाम पिता शिबू सोरेन के समर्पण और परिश्रम का नतीजा हैं। आज जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के संकल्प का दिन है। अब राज्य के लिए एक नया अध्याय शुरू होगा। ये मील का पत्थर साबित होगा। उम्मीदें नहीं टूटेंगी। नौजवान, किसान, महिला, व्यापारी, बूढ़े-बच्चे, मजदूरों सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे।

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