कांग्रेस नेता इमरान मसूद के बाद जयंत चौधरी को मुजफ्फरनगर जाने से रोका, पुलिस से नोकझोंक

कांग्रेस नेता इमरान मसूद के बाद जयंत चौधरी को मुजफ्फरनगर जाने से रोका, पुलिस से नोकझोंक

मेरठ में नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा में मारे गए पीड़ित के घर जा रहे रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी को मेरठ-मुजफ्फरनगर मार्ग पर खतौली बाईपास के नजदीक रोक दिया गया। जयंत यहां उपद्रव में मारे गए नूरा के घर जा रहे थे। लेकिन पुलिस द्वारा रोके जाने पर वह वापस दिल्ली लौट गए।

शहर में शहर में शुक्रवार को हुए उपद्रव के चलते रहमतनगर खालापार निवासी नूरा की गोली लगने से मौत हो गई थी। नूरा के परिवार से मिलने के लिए जयंत चौधरी का आज साढ़े 11 बजे का कार्यक्रम था। लेकिन शहर से बाहर ही मुजफ्फरनगर के खतौली बाईपास पर पुलिस ने जयंत चौधरी और उनके कार्यकर्ताओं के साथ रोक लिया। इस दौरान कार्यकर्ताओं की पुलिस से काफी नोकझोंक हुई।

वहीं सूचना पर एसपी सिटी सतपाल अंतिल, सिटी मजिस्ट्रेट कई थानों की पुलिसफोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को समझाने का प्रयास किया। लेकिन जयंत के काफिले में मौजूद पूर्व मंत्री धर्मवीर बालियान, राजपाल बालियान, नवाजिश आलम जिलाध्यक्ष अजिल राठी, सुधीर भारतीय, हर्ष राठी आदि कार्यकर्ता वहीं धरने पर बैठ गए।

हालांकि इस दौरान जयंत चौधरी अपनी कार में ही बैठे रहे। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर उनका घर है। वह अपने घर जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया।

उन्होंने कहा कि हिंसा का शिकार हुए लोग उनके भाई बहन हैं, वह उनसे मिलने जा रहे थे। मृतक के परिजनों से मुलाकात करना चाहते थे उनका दुख दर्द बांटना चाहते थे। लेकिन पुलिस का कहना है कि स्थिति अभी तनावपूर्ण बनी हुई है। इसलिए उन्हें वहां नहीं जाने दिया जा सकता है।

शहर में शुक्रवार को हुए उपद्रव के चलते रहमतनगर खालापार निवासी नूरा की गोली लगने से मौत हो गई थी। जयंत चौधरी से पहले जिला प्रशासन ने कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता इमरान मसूद समेत कांग्रेसी नेताओं को मृतक नूरा के घर जाने से रोक दिया था। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव इमरान और प्रदेश उपाध्यक्ष व पश्विमी प्रभारी पंकज मलिक को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

वहीं मेरठ में मंगलवार को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के काफिले को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया था। वह मेरठ में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मृतकों के परिजनों से मिलने जा रहे थे लेकिन पुलिस प्रशासन ने शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए शहर के बाहर से ही वापस लौटा दिया था।

बता दें कि मुजफ्फरनगर में सातवें दिन भी इंटरनेट सेवाएं बहाल नहीं हुई हैं। शहर में तनावपूर्ण  स्थिति और सर्दी के प्रकोप को देखते हुए जिले के सभी स्कूल कॉलेजों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं। डीआईओएस ने बताया कि डीएम के आदेश पर जिले के सभी शिक्षण संस्थान 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे।

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