Jammu Kashmir: आजाद से घबराई कांग्रेस आलाकमान, पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर किया
जम्मू । पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में गुलाम नबी आजाद प्रचार करने नहीं जाएंगे। कांग्रेस आला कमान ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची से गुलाम नबी आजाद को बाहर रखते हुए संकेत दे दिया है कि वह उन्हें पूरी तरह हाशिए पर धकेलने के मूड में है । जी-23 में फूट डाल बागी सुरों पर लगाम लगाने के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में मनीश तिवारी और भूपेंद्र हुड्डा के पुत्र को रखा गया है। जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस में भी आला कमान के इस फैसले को लेकर हलचल तेज हो गई है।
उल्लेखनीय है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के उस जी-23 गुट के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने देश में कांग्रेस के पतन को रोकने के लिए संगठनात्मक सुधारों की मांग करते हुए पदाधिकारियों के नामांकन के बजाय चुनाव के जरिए उनका फैसला करने पर जोर दिया है। इन नेताओं ने बिना गांधी परिवार का नाम लिए उसके नेतृत्व कार्यकुशलता पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कांग्रेसाध्यक्ष के चुनाव की मांग की है।
गुलाम नबी आजाद व उनके करीबियों को हाशिए पर धकेलने की कोशिशें शुरु हाे गई
जम्मू में 28 फरवरी को गुलाम नबी आजाद के साथ भूपेंद्र हुड्डा, मनीष तिवारी, राज बब्बर, कपिल सिब्बल सरीखे नेताओं ने एक सम्मेलन में बिना नाम लिए गांधी परिवार के वर्चस्व को चुनौती दी थी। इससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में खलबली मच गई थी। उसके बाद से गुलाम नबी आजाद व उनके करीबियों को हाशिए पर धकेलने की कोशिशें शुरु हाे गई। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को एकजुट रखनेे के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल भी पांच दिन के दौरे पर केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश पहुंच गई
राजनीतिक मामलों के जानकार, आसिफ कुरैशी ने कहा कि अगर किसी को पूरी तरह कमजोर बनाना है तो पहले उसे उसके घर में ही फूट डाली जाती है। कांग्रेस आला कमान ने भी यही किया है। गुलाम नबी आजाद को जम्मू कश्मीर में कमजोर करने के लिए रजनी पाटिल खुद स्थानीय कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं से मिल रही हैं। उन्होंने आजाद के करीबियों को संदेश देते हुए कहा कि जो संगठन छोड़ना चाहता है, जा सकता है। रजनी पाटिल नेे अपनी इन बैठकों में आजाद के करीबी कहे जाने वाले प्रदेश कांग्रेस के किसी भी वरिष्ठ नेता या पूर्व विधायक को नहीं बुलाया है या फिर वह खुद ही इन बैठकों से दूर रहे हैं।
रजनी पाटिल के जारी जम्मू दौरे के दौरान ही कांग्रेस आला कमान अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी करती है, जिसमें गुलाम नबी आजाद नहीं हैं। यह महज संयोग नहीं कहा जा सकता। रजनी पाटिल बुधवार काे दिल्ली लौट रही है, बुधवार को भी स्टार प्रचारकों की सूची जारी हो सकती थी। अगर आजाद को हाशिए पर धकेलने की तैयारी नहीं हाेती तो उनके करीबियों को भी रजनी पाटिल की बैठकों में बुलाया जाता, आजाद काे भी स्टार प्रचारकों की श्रेणी में रखा जाता।
कांग्रेस आलाकमान व उसके करीबी आजाद से घबराए हुए हैं
जम्मू कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो हरि ओम ने कहा कि आजाद के साथ कांग्रेस में इस तरह का व्यवहार मैने पहली बार देखा है। इससे लगता है कि कांग्रेस आलाकमान व उसके करीबी आजाद से घबराए हुए हैं, उन्हें लगता है कि अगर आजाद पर अभी लगाम नहीं डाली गई तो आजाद कांग्रेस को उनकी चंगुल से आजाद करा लेंगे। उन्होंने आजाद काे घेरने के लिए जी-23 के कुछ नेताओं को स्टार प्रचारक की गाजर थमायी है। कांग्रेस ने एक तरह से यह संकेत दिया है कि आजाद उसके लिए कहीं मायने नहीं रखते।
गुलाम नबी आजाद की उपेक्षा कर कांग्रेस नेतृत्व संगठन का ही नुक्सान कर रहा है
जम्मू कश्मीर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक ने कहा कि गुलाम नबी आजाद की उपेक्षा कर कांग्रेस नेतृत्व संगठन का ही नुक्सान कर रहा है। कांग्रेस में अगर राष्ट्रीय स्तर के प्रभावशाली नेताओं को गिना जाए तो उनमें आजाद अगली पंक्ति में नजर आते हैं। उनकी छवि अन्य नेताओं से साफ है, वह हर राज्य और हर दल में अपने समर्थक रखते हैं। आजाद साहब अगर पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए जाते तो कांग्रेस को फायदा होता। कांग्रेस को उनकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्हें स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखे जाने की खबर ने सुबह से ही हलचल मचा रखी है। कई नेताओं ने इस मुद्दे को पर अपनी राय से जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल को भी अवगत कराया है।
गुलाम नबी आजाद विशुद्ध कांग्रेसी हैं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीरा लाल अबरोल ने कहा कि गुलाम नबी आजाद विशुद्ध कांग्रेसी हैं, वह कांग्रेस के अलावा कुछ और नहीं सोचते। उन्होंने कांग्रेस में सुधार की मांग की है। अगर उन्हें कांग्रेस में हाशिए पर धकेला जाता है तो यही संदेश जाएगा कि कांग्रेस में लोकतंत्र खत्म हो चुका है, कांग्रेस कुछेक लाेगों की मर्जी से चलती है और इसका फायदा भाजपा जैसे दलों को होगा। उनकी उपेक्षा का मतलब जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस को खत्म करने जैसा होगा।